लखनऊ में प्रतिदिन 200 से ज्यादा लोगों पर कुत्ते कर रहे हैं हमला?

लखनऊ। उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में कुत्तों के आतंक से बच्चे ही नहीं बड़े बूढ़े भी दहशत में है! शहर के तमाम इलाकों में लोग अपने बच्चों को घरों से बाहर नहीं निकलने देते! 

राजधानी में रोजाना 200 से ज्यादा लोग आवारा कुत्तों का शिकार हो रहे हैं! यह आंकड़े सरकारी अस्पतालों में लग रहे रैबीज के इंजेक्शन बता रहे हैं! इंजेक्शन लगवाने वालों में 30 प्रतिशत बच्चे हैं!

लखनऊ में लगातार कुत्तों के हमले की घटनाएं सामने आ रही हैं! RKB NEWS रिपोर्ट के आधार पर यह बताने का प्रयास किया जा रहा है कि लखनऊ में आप इन क्षेत्रों से गुजरते समय आपको सावधान रहने की जरूरत है, नहीं तो आप पर डॉग अटैक हो सकता है! 

(एक आंकड़े के मुताबिक, हर साल भारत में 20,000 लोगों की जान रेबीज के संक्रमण के कारण चली जाती है!)

लखनऊ के ठाकुरगंज, राजाजीपुरम की एलडीए कॉलोनी, निशातगंज, कल्याणपुर, ख़ुर्रम नगर, गोमती नगर विस्तार, पीजीआई और बालागंज ऐसे इलाके हैं ज्यादा आवारा कुत्तों का झुंड आपको अक्सर सड़क पर दौड़ा सकते हैं!

लखनऊ नगर निगम नियम अनुसार कि एक परिवार में दो से ज्यादा पालतू कुत्ते नहीं होंगे! जबकि अभी तक इसको लेकर कोई मजबूत नियम नहीं है! दरअसल, नगर निगम के आंकड़ों में एक चौंकाने वाला डेटा सामने आया है! शहर में करीब 4700 पालतू कुत्तों का रजिस्ट्रेशन है! उसमें से करीब 930 कुत्ते ऐसे हैं, जो हिंसक प्रवृति के हैं! 

अनुपात में देखा जाए तो हर पांचवां कुत्ता ऐसा है, जो कभी भी हिंसक हो सकता है! वही ताज़ा मामला निशातगंज की तीसरी गली में रहने वाली एक मुस्लिम फैमली ने दर्ज़नो कुत्ते पाल रखे है, जो घर के बाहर खुले में घूमते रहते हैं, पालतू कुत्तों का कोई रजिस्ट्रेशन भी नही हैं, आये दिन निकलने वाले बच्चे, महिलाओं औऱ बुज़ुर्ग लोग को छह काट लेते हैं, यदि कोई कुत्ते पालने वालो से शिकायत करता है, तो यह महिलाएं गाली गलौज औऱ अभद्रता करने लगती हैं, स्थानीय लोगों ने कई बार नगर निगम में मौखिक शिकायत भी कही हैं  परन्तु ढाक के तीन पात वाली कहावत चरितार्थ पर नगर निगम काम कर रहा है!

कुत्ता पालने का बिजनेस पिछले कुछ सालों में तेजी से बढ़ा है! कई लोग कुत्ता पालने की आड़ में ब्रीडिंग सेंटर चला रहे हैं! ये पूरा बिजनेस कागजों में नहीं होता है! ऐसे में सरकारी राजस्व को भी नुकसान होता है! जिन कुत्ते पालने वाले मालिक रजिस्ट्रेशन नहीं दिखा पायंगे, तो मालिक से 5000 रुपए का जुर्माना अलग से वसूला जाने का नियम है!

(लखनऊ में अमेरिकन पिटबुल, राटविलर, सिबेरियन, हुसकी, डाबरमैन, पिन्सचर तथा बाक्सर ब्रीड के कुत्तों को पालने का चलन बढ़ा हैं!

नगर निगम की ओर से ऐसे आवारा कुत्तों को पकड़कर उनकी नसबंदी की जाती है जिसके बाद उन्हें दोबारा उसी इलाके में छोड़ दिया जाता है! वर्ष 2019 से लेकर अभी तक करीब 45,000 आवारा कुत्तों को पकड़कर उनकी नसबंदी की गई है! साथ ही उनको एंटी रैबीज़ के इंजेक्शन भी दिए गए हैं! हालांकि यह आंकड़ा पूरे लखनऊ का है! लखनऊ में कुत्तों को पालने के लिए लगातार आवेदन किए जा रहे हैं! नगर निगम के पशु कल्याण अधिकारी अभिनव वर्मा ने बताया कि 6,400 लाइसेंस नगर निगम की ओर से लोगों को कुत्ता पालने के लिए इस साल दिए जा चुके हैं! इस वर्ष सबसे ज्यादा कुत्ते पालने के लिए लोगों ने आवेदन किया है! पिछले साल 1,500 से लेकर 2,000 तक आवेदन आए थे! पशु कल्याण अधिकारी अभिनव वर्मा ने बताया कि शिकायत मिलने पर नगर निगम की टीम, जिसका कुत्ता है, उसके यहां जाती है और उसके सभी दस्तावेजों की जांच करती है! दस्तावेज न मिलने पर कुत्ते को जब्त कर लिया जाता है! यदि इसके बावजूद भी कुत्ते का मालिक नहीं मानता हैं तो पुलिस की सहायता ली जाती है! कुत्ता काटने पर अगर पीड़ित पक्ष की ओर से एफआईआर दर्ज कराई जाती है तो भी नगर निगम पीड़ित पक्ष का पूरा सहयोग करता है! साथ ही नगर निगम की ओर से नोटिस भी जारी की जाती है!

बलरामपुर अस्पताल के रैबीज वैक्सिनेशन प्रभारी डॉ. विष्णु देव बताते हैं कि यहां रोज 150 से ज्यादा लोग रैबीज का इंजेक्शन लगवाने आते हैं! पुराने लखनऊ के सबसे ज्यादा लोग होते हैं! टीबी अस्पताल व सिविल अस्पताल में रैबीज इंजेक्शन लगवाने आने वालों में 60 फीसदी लोग पुराने लखनऊ के इलाकों के हैं! 

कुत्ते के काटने पर कहां करे शिकायत:-

  • कुत्ता काटे तो संबंधित थाने में निगम या स्थानीय निकाय में शिकायत की जा सकती है!
  • पड़ोसी को परेशानी हो तो वह पशु पालन विभाग और निगम में शिकायत कर सकता है!
  • पशु पालन विभाग या निगम स्तर पर पशु का स्टेरलाइजेशन जरूरी है!

वहीं, हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट ने क्या नियम बनाए हुए हैं-

  • 9 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जो लोग लावारिस कुत्तों को खाना खिलाते हैं, उन्हें टीकाकरण के लिए जिम्मेदार बनाया जा सकता है!
  • 2016 में सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित श्री जगन आयोग को कुत्तों के हमलों में पीड़ितों को मुआवजा वितरण के बारे में रिपोर्ट प्रस्तुत करने को भी कहा है!

जानें क्या कहता है कानून :-

  • आईपीसी की धारा 289 के तहत पालतू जानवर की हरकतों के लिए मालिक जिम्मेदार है! 
  • धारा के तहत एक हजार रुपये तक जुर्माना या छह माह जेल अथवा दोनों सजा हो सकती हैं! 
  • हालांकि, मुआवजे का प्रावधान नहीं है!
  • कुत्ते के काटने और नुकसान पहुंचाने पर उसे मार नहीं सकते!
  • कुत्ते को मारने पर पशु क्रूरता रोकथाम अधिनियम धारा 11 (3) के तहत कार्रवाई संभव! 
  • धारा के तहत सोसाइटी कुत्ते पालने से रोक नहीं सकती!
  • पालतू कुत्ते के काटने से मौत पर डॉग ओनर पर केस हो सकता है!

संयुक्त निदेशक पशु कल्याण डा. अरविंद राव ने बताया कि बढ़ती भीड़ को देखते हुए नगर निगम अब अलग-अलग जगहों पर लाइसेंस बनाएगा! इसके लिए मोबाइल नंबर भी जारी किए गए हैं! नगर निगम को एक अप्रैल से आज तक 1.81 लाख लाइसेंस शुल्क से मिला है! उन्होंने बताया कि शहर में अलग-अलग जगहों पर लाइसेंस बनाए जा रहे हैं, जहां नगर निगम कर्मी मौजूद रहेगा!

यहां बन जाएंगे लाइसेंस :-

एसके अग्रवाल लेखराज मार्केट बेसमेंट राजकीय पशु चिकित्सालय ग्वारी गांव 5/350 विकास खंड-पांच अग्रवाल प्लाजा दुकान नंबर 24 चर्च रोड इंदिरानगर एबीसी सेंटर फन माल गोमतीनगर कितना लाइसेंस शुल्क बड़ी ब्रीड पांच सौ रुपये छोटी ब्रीड तीन सौ रुपये देशी ब्रीड दो सौ रुपये निगरानी करेगी नगर निगम की टीम - अब कुत्ते को कहीं भी खुले में शौच नहीं करा सकेंगे! कुत्ते को शौच कराते समय साथ में बैग करना होगा और स्कूप रखना होगा, जिससे उसकी लैट्रीन को उठाकर अपने घर के सीवर में डालना होगा! 

सुबह छह से बजे से नगर निगम की टीम निगरानी करेगी! संयुक्त निदेशक पशु कल्याण डा. अरविंद राव ने बताया कि नगर निगम की टीम यह निगरानी करेगी कि लोग कुत्तों को शौच कराते समय नियमों का पालन कर रहे हैं कि नहीं। अगर उनके पास बैग और स्कूप नहीं होगा तो जुर्माना लगाया जाएगा!

वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 और पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम, 1986 के अनुसार इस देश के नागरिकों का कर्तव्य है कि वे जानवरों और पर्यावरण की समान रूप से रक्षा करें। आरडब्ल्यूए के प्रस्ताव जो जानवरों को नुकसान पहुंचा सकते हैं, पशु क्रूरता निवारण अधिनियम, 1960 की धारा 11 (3) का उल्लंघन करते हैं और साथ ही संविधान के अनुच्छेद 51 ए (जी) के खिलाफ हैं जो पर्यावरण को सुरक्षा और सुधार प्रदान करता है।

एक आंकड़े के मुताबिक, हर साल भारत में 20,000 लोगों की जान रेबीज के संक्रमण के कारण चली जाती है। ज्यादातर लोगों का कहना है कि पालतू और आवारा कुत्तों की समस्या से निपटने के मामले में स्थानीय निकायों द्वारा उठाए जाने वाले कदम अपर्याप्त हैं!

देश में कुत्तों के काटने से हुई मौतों पर सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को चिंता जताई है! शीर्ष अदालत ने पशु कल्याण बोर्ड (AWB) से पिछले 7 साल में कुत्ते के काटने से हुई मौतों पर आंकड़े पेश करने को कहा है! कोर्ट ने इसे रोकने के लिए उठाए गए कदमों का भी हिसाब मांगा है! 

अदालत ने मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि हम यह जानना चाहते हैं कि कितने राज्यों में कुत्ते के काटने से लोगों की मौत हुई है और कितने लोग घायल हुए हैं! अदालत ने यह भी पूछा कि क्या इसके लिए गाइडलाइंस बनाने की जरूरत है! 

शीर्ष अदालत ने कहा कि कुत्तों के काटने वाला मामला अब पूरे देश की समस्या बन गई है! हमें राज्यवार इस समस्या का समाधान खोजना होगा! मामले की सुनवाई के दौरान जस्टिस गवई ने कहा कि यह एक क्षेत्र से संबंधित परेशानी हो सकती है लेकिन मुंबई और हिमाचल प्रदेश की स्थिति केरल से बिल्कुल अलग है।

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