सम्राट अशोक महान का शासन स्वर्ण युग था : तेजपाल मौर्य
बरेली विश्व के महानतम सम्राट अशोक की जयंती पर आयोजित कार्यक्रम में बोलते हुए शिक्षक, विचारक, अखिल भारतीय युवा कुशवाहा समाज भारत (रजि.के प्रदेश उपाध्यक्ष तेजपाल मौर्य ने कहा कि भारतीय उपमहाद्वीप के महानतम सम्राट हैं अशोक।
प्रियदर्शी, देवानाम, प्रजापालक आदि नामों से प्रसिद्ध हैं सम्राट अशोक महान।
भारत ही नहीं पूरे विश्व में सम्राट अशोक महान का गुणगान किया जाता रहा है। विश्व की राजव्यवस्था में अशोक महान की कोई न कोई नीति अवश्य शामिल रहती है। शक्ति का प्रदर्शन करते हुए पहले कश्मीर बाद में कलिंग युद्ध जीत कर विश्व को दिखाया।
कवीले, जन, जनपद, महाजनपद को साम्राज्य में रुपांतरित कर अपने को सर्वशक्तिमान राजा घोषित किया। जनता को पुत्रवत स्नेह देकर उसमें संरक्षक का भाव पैदा कर अपने को प्रियदर्शी वना लिया।
अशोक कहते हैं कि समस्त प्रजा मेरी संतान है मैं प्रजा के इस लोक के साथ ही साथ परलोक की भी चिंता करता हूं।सवसे महत्वपूर्ण संदेश, राजा प्रजा का ऋणी है, इसलिए उन्होंने एक प्रतिवेदक की नियुक्ति कर रखी थी। जिसे आदेश था प्रजा से जुड़ा मुद्दा होने पर मुझे तुरंत अवगत कराया जाये चाहे मैं कहीं भी, किसी भी समय, किसी भी परिस्थिति में हूं।
सम्राट अशोक ने भारत में ब्राह्मी, पाकिस्तान में क्रोष्टु, अफगानिस्तान में अलमाइनी, ग्रीक वर्तमान तुर्की में ग्रीक लिपि में शिलालेखों को लिखवाया। 1000 योजन तक राज करने के कारण चक्रवर्ती सम्राट कहलाये।
नगरीकरण की परम्परा का चलन करने वाले प्रथम भारतीय राजा थे। जी डी पी भी सर्वोच्च थी। इसके लिए पड़ोसियों से मैत्री पूर्ण संबन्ध स्थापित किये।
धर्मनिरपेक्ष राज्य की स्थापना की।परिब्राजक (आजीबक) धर्मावलम्बीयों के लिए तीन गुफाओं का निर्माण कराया।
एक राजाज्ञा जारी की जिसमें कहा गया कि प्रत्येक व्यक्ति को सभी धर्मों के मूल भूत सिद्धांतों को समझना चाहिए। सभी धर्मों को पूरा सहयोग समर्थन करते हुए बौद्ध का प्रचार प्रसार करते हुए 84000 स्तूप वनवाये।
प्रेम, करुणा, दया और मैत्री पूर्ण,शासन करते हुए चक्रवर्ती सम्राट अशोक महान कहलाये। कार्यक्रम में घनश्याम मौर्य, कैलाश मौर्य, मानवेन्द्र प्रताप सिंह, सीमा मौर्य अनेकों देशप्रेमी सम्मिलित हुए।
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