सुहागनों का सबसे खास पर्व करवा चौथ

त्याग की मूरत नारी छाई..

सुखी वैवाहिक जीवन, पति की लंबी आयु हेतु 1 नवंबर 2023 को निर्जल व्रत रखने की बारी आई..

सुहागनों का सबसे खास पर्व करवा चौथ 1 नवंबर 2023 पर विशेष..

महिलाओं द्वारा सुखी वैवाहिक जीवन और पति की लंबी आयु की कामना के लिए निर्जला व्रत रखना करवा चौथ का मूल आधार है - किशन सनमुखदास भावनानी  

वैश्विक स्तरपर यह सर्वविदित है कि भारत में आध्यात्मिकता प्राचीन कथाओं से जुड़े धार्मिक व्रत निर्जल व्रत धार्मिक अनुष्ठान सहित अनेको धार्मिक पाठ भागवत कथा जैसे अनेक धार्मिक अनुष्ठान अनेकों जाति धर्मप्रथाओं के धार्मिक स्थलों पर दैनिक, साप्ताहिक मासिक या वार्षिक स्तर पर होते हैं।मैं अनेकों धार्मिक स्थानो पर धार्मिक आस्था जुड़ी होने के कारण जाता हूं तो मुझे वहां पुरुषों की अपेक्षा महिला आध्यात्मिक श्रद्धालओ की संख्या अधिक देखने को मिलती है जिससे मैं इस निष्कर्ष पर पहुंचा हूं कि पुरुषों की अपेक्षा महिलाओं में आध्यात्मिकता और पौराणिक कथाओं से उत्प्रेरित व्रत के प्रति उनकी आस्था अधिक है। याने पुरुषों की अपेक्षा महिलाएं धार्मिक आधार से जुड़े अनेक व्रत रखती रखती है। परंतु सुहागन महिलाओं के लिए उनका सबसे बड़ा व्रत उनका खास पर्व करवा चौथ होता है क्योंकि इस व्रत से महिलाएं अपने सुखी वैवाहिक जीवन व अपने पति की लंबी आयु की कामना करती है। चूंकि करवा चौथ पर्व इस वर्ष 1 नवंबर 2023 को मनाया जा रहा है, इसलिए आज हम मीडिया में उपलब्ध जानकारी के सहयोग से इस आर्टिकल के माध्यम से चर्चा करेंगे महिलाओं द्वारा सुखी वैवाहिक जीवन और पति की लंबी आयु की कामना के लिए निर्जला व्रत रखना करवा चौथ का मूल आधार है। बता दें, इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना प्रेषित की गई हैं। 

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हम निर्जला व्रत करवा चौथ 1 नवंबर 2023 की तो, इस साल करवा चौथ का व्रत बुधवार 1 नवंबर 2023 को रखा जाएगा। इस दिन महिलाएं अखंड सौभाग्य की कामना करते हुए करवा चौथ का व्रत रखेंगी। 

करवा चौथ के दिन महिलाएं 16 श्रृंगार कर पूजा करती हैं। सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त तक कठिन निर्जला व्रत रखती हैं।

इस दिन महिलाएं रात को चंद्रोदय के बाद चंद्रमा को अर्घ्य देकर पति को छलनी से देखकर व्रत खोलती हैं। मान्यता है कि करवा चौथ के व्रत से वैवाहिक जीवन सुखमय होता है।  एक माननीय शास्त्री ने बताया कि इस व्रत को अविवाहित लड़कियां भी रख सकती हैं और अच्छे पति कीएक्सकामना कर सकती हैं। इस दिन महिलाओं को पूर्ण श्रृंगार के बाद ही पूजन करना चाहिए। हिन्दू धर्म में महिलाओं को हर पूजन से पहले सम्पूर्ण श्रृंगार करने की बात कही गयी है। 

करवा चौथ के दिन विवाहित महिलाएं अपने पति की अच्‍छी सेहत और लंबी उम्र के लिए व्रत रखती हैं। चूंकि यह व्रत निर्जला रखा जाता है इसलिए इसे बहुत कठिन माना गया है। करवा चौथ का हिंदू धर्म में व‍िशेष महत्‍व है। यह व्रत कार्तिक माह के कृष्‍ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को रखा जाता है। 

वैदिक पंचांग के अनुसार कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि 31 अक्टूबर दिन मंगलवार की रात 09 बजकर 30 मिनट से प्रारंभ होगी और 1 नवंबर बुधवारको रात 09बजकर 19 मिनट पर खत्म होगी उदया तिथि और चतुर्थी के चंद्रोदय समय के अनुसार करवा चौथ व्रत 1 नवंबर 2023, बुधवार को रखना ही उचित होगा। 

इस साल व्रती महिलाओं को 13 घंटे 42 मिनट तक निर्जला व्रत रखना होगा क्‍योंकि व्रत सुबह 06 बजकर 33 मिनट पर सूर्योदय से शुरू होकर रात 08 बजकर 15 मिनट पर चंद्रोदय होने तक रहेगा।वहीं साल करवा चौथ की पूजा करने का शुभ मुहूर्त 1 नवंबर 2023 को, शाम 05.36 से शाम 06.54 तक है। इस तरह व्रती महिलाओं को पूजा के लिए 1 घंटे 18 मिनट का समय मिलेगा। 

साथियों बात अगर हम करवा चौथ के पूजा विधि की करें तो, करवा चौथ की विशेष पूजा रात में चंद्रमा निकलने के बाद की जाती है। करवा चौथ के दिन सुबह उठकर स्नान आदि करके साफ कपड़े पहनें और भगवान के सामने हाथ जोड़कर व्रत करने का संकल्प लें। इस मंत्र का जाप करें मम सुख सौभाग्य पुत्रादि” सुस्थिर श्रीप्राप्तये कर्क चतुर्थी व्रतमहं करिष्ये।घर के मंदिर की दीवार पर गेरू से फलक बनाएं। फिर चावल को पीस लें और फलक पर करवा का डिजाइन बनाएं। इस अनुष्ठान को करवा धरना कहा जाता है। शाम के समय फलक के स्थान पर फर्श पर एक लकड़ी की चौकी पर माता पार्वती और शिव की तस्वीर रखें, जिसमें भगवान गणेश माता पार्वती की गोद में बैठे हों।

अब पूजा की थाली सजाएं और थाली में दीपक, सिन्दूर, अक्षत, कुमकुम, रोली और चावल की मिठाई या सफेद मिठाई रखें। इसके बाद कोरे करवा में जल भरकर पूजा में रखें और माता पार्वती को श्रृंगार की सामग्री अर्पित करें। इसके बाद माता पार्वती, भगवान गणेश और शिव के साथ भगवान चंद्रमा की पूजा करें। फिर करवा चौथ की व्रत कथा सुनें। 

चौथ मनाने की मान्यता की तो, करवा चौथ के दिन महिलाएं सूर्योदय से पहले जागकर सरगी खाकर व्रत की शुरुआत करती हैं।उसके बाद महिलाएं पूरे दिन निर्जला व्रत रखती हैं। 

शाम को स्त्रियां दुल्हन की तरह 16 श्रृंगार कर तैयार होती हैं और पूजा करती है। उसके बाद शाम को छलनी से चांद देखकर और पति की आरती उतारकर अपना व्रत खोलती हैं। मान्यता है कि माता पार्वती ने शिव के लिए, द्रौपदी ने पांडवों के लिए करवा चौथ का व्रत किया था। करवा चौथ व्रत के प्रताप स्त्रियों को अखंड सौभाग्यवती रहने के वरदान मिलता है।

करवा माता उनके सुहाग की सदा रक्षा करती हैं और वैवाहिक जीवन में खुशहाली आती है। माना जाता है कि करवा चौथ का व्रत रखने की परंपरा की शुरुआत महाभारत काल से हुई थी। सबसे पहले श्रीकृष्ण के कहने पर द्रौपदी ने पांडवों के प्राणों की रक्षा करने के लिए इस व्रत को किया था. मान्यताओं के अनुसार द्रौपदी के द्वारा रखे गए करवा चौथ व्रत की वजह से ही पांडवों के प्राणों पर कोई आंच नहीं आई थी। इसलिए कहा जाता है कि, हर सुहागिन महिला को अपने पति की रक्षा और लंबी आयु के लिए करवा चौथ का व्रत रखना चाहिए. इस व्रत को रखने से वैवाहिक जीवन में खुशहाली आती है। 

मान्यता के अनुसार अगर कोई महिला पूरे विधि विधान से करवा चौथ का व्रत रखती है, तो उसके पति की उम्र लंबी होती है और अखंड सौभाग्‍य का वरदान मिलता है। इसके साथ ही उसे सुखी दांपत्य जीवन का आशीर्वाद मिलता है। 

करवा चौथ की प्रचलित कहानी वीरावती और उसके सात भाइयों की है, जो इस प्रकार है। प्राचीन काल में इंद्रप्रस्थ में वेद शर्मा नामक एक ब्राह्मण विद्वान रहते थे। उनकी पत्नी लीलावती से उनके सात बेटे और वीरावती नाम की एक बेटी थी। 

जब वीरावती युवा हुई तो उसका विधि-विधान से विवाह कर दिया गया। जब कार्तिक कृष्ण चतुर्थी आई तो वीरावती ने अपनी भाभियों के साथ बड़े प्रेम से करवा चौथ का व्रत शुरू किया। भूख और प्यास के कारण चंद्रमा निकलने से पहले ही वह बेहोश हो गई। अपनी बहन को बेहोश देखकर सातों भाई हैरान रह गए और इसका उपाय ढूंढने लगे। 

अपनी प्रिय बहन को पेड़ के पीछे से जल रही मशाल की रोशनी दिखाकर होश में लेकर आए और चंद्रमा के निकलने की सूचना दी, फिर उसने पूजा की और अर्घ्य दिया और भोजन किया। इस प्रकार व्रत टूटने की वजह से उसके पति की मृत्यु हो गई। 

वीरावती अपने पति की मृत्यु से व्याकुल हो गयी और उसने अन्न-जल त्याग दिया। उसी रात इंद्राणी पृथ्वी पर आईं और ब्राह्मण की कन्या ने उससे उसके दुःख का कारण पूछा।

इस संबंध में इंद्राणी ने कहा कि तुमने करवा चौथ पर चंद्रोदय से पहले अर्घ्य दिया और भोजन किया, इसलिए तुम्हारे पति की मृत्यु हो गई। अब इसे पुनर्जीवित करने के लिए जल्दी से करवा चौथ का व्रत करें। उस व्रत के पुण्य प्रभाव से मैं तुम्हारे पति को पुनः जीवित कर दूंगी। 

जब वीरावती ने बारह माह की चौथ सहित करवा चौथ का व्रत पूरे विधि-विधान से किया तो इंद्राणी ने अपने वचन के अनुसार प्रसन्न होकर एक चुल्लू भर पानी उसके पति के शव पर छिड़क दिया। जैसे ही उसने ऐसा किया, उसका पति जीवित हो गया और घर लौट आया। इसके बाद वीरावती अपने पति के साथ वैवाहिक सुख का आनंद लेने लगी। उसे अपने पति से पुत्र, धन, धान्य और लंबी आयु का लाभ प्राप्त हुआ।

अतः अगर हमउपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर इसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि सुहागनों का सबसे खास पर्व करवा चौथ 1 नवंबर 2023 पर विशेष।त्याग की मूरत नारी छाई - सुखी वैवाहिक जीवन, पति की लंबी आयु हेतु 1 नवंबर 2023को निर्जलव्रत रखनेकी बारी आई महिलाओं द्वारा सुखी वैवाहिक जीवन और पति की लंबी आयु की कामना के लिए निर्जला व्रत रखना करवा चौथ का मूल आधार है।

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