हिंदी से ही हमारे अस्मिता की पहचान है!
- हिंदी को राष्ट्रभाषा घोषित किए बिना देश की सभ्यता व संस्कृति सुरक्षित नहीं..
- हिंदी से ही हमारे अस्मिता की पहचान है..
हिंदी के बिना संपूर्ण और समृद्ध राष्ट्र की कल्पना अधूरी है उक्त वक्तव्य आज श्रृंगारहाट अयोध्या स्थित रघुनाथ भवन वैद जी के मंदिर में हिंदी प्रचार प्रसार सेवा संस्थान की बैठक की अध्यक्षता करते हुए समाज सेवी मित्र मंच के शरद पाठक "बाबा" ने व्यक्त किया।
उक्त अवसर पर उन्होंने कहा कि हिंदी ही हमारे सनातन धर्म व संस्कृति की संवाहक है, बैठक को संबोधित करते हुए वरिष्ठ पत्रकार राम केर सिंह ने कहा कि हिंदी के राष्ट्रभाषा बने बिना भारत देश अधूरा है, संस्थान के उपाध्यक्ष विंध्यवासिनी शरण पांडिया ने कहा कि आगामी 14 सितंबर हिंदी दिवस के पावन पर्व पर संस्थान द्वारा तुलसी स्मारक भवन (रानी बाजार चौराहा) अयोध्या में संगोष्ठी, सम्मान समारोह व सांस्कृतिक आयोजन किए गए हैं जिसमें आप लोग पूरी सहभागिता निभाईये।
बैठक का संचालन करते हुए संस्थान के राष्ट्रीय महामंत्री डॉ0 सम्राट अशोक मौर्य ने आए हुए सभी साहित्य प्रेमियों का आभार प्रकट होते हुए अपील की कि आगामी 14 सितम्बर के कार्यक्रम को तन मन धन से जुट कर सफल बनावें जिससे अयोध्या की धरती से देश को एक सशक्त संदेश जाए और हिंदी देश की राष्ट्रभाषा व विश्व की संपर्क भाषा बन सके।
जिससे हमारी संस्कृति और सभ्यता सुरक्षित रह सके। समारोह को सुव्यस्थित संचालित करने के लिए विभिन्न समितियां गठित की गई,उक्त अवसर पर अपने सुझाव व सलाह संप्रेषित करने वालों में प्रमुख रूप से अयोध्या प्रेस क्लब के अध्यक्ष महेंद्र त्रिपाठी, परमजीत कौर, परमिंदर कौर, गुड़िया त्रिपाठी, पत्रकार केतकी निषाद, सोनाली साहू, सुधा सिंह, कथावाचक मनिषा पांडेय, अनिरुद्ध प्रसाद शुक्ला दीपचंद राही, नरेंद्र पाठक, ओमप्रकाश सैनी पत्रकार, विश्वनाथ शुक्ला, इंसान अली शाह, संगीता आहूजा, मनीष चंद्र पांडेय, गोविंद लाल सोनी नीतू पांडेय, प्रियंका त्रिपाठी, पलक पांडेय, डाoअनुराधा मौर्य,प्रीति देवी, संजीव कुमार, सुशील श्रीवास्तव,संगीता प्रदेश अध्यक्ष दिनेश कुमार सिंह वत्स, वरिष्ठ पत्रकार भानु प्रताप सिंह चंद्रवंशी, अजेंद्र पांडेय आदि
उपस्थित रहे।
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