आओ हिंदी-हिंदी खेले हिंदी में?
(हिंदी दिवस विशेषांक) हेमन्त कुशवाहा अपनी मातृभाषा हिंदी को दोयम दर्जे पर व अंग्रेजी को शीर्ष दर्जे पर रखना आपकी बनावटी व दिखावटी मानसिकता को उजागर करने के साथ' आपकी खुद की वाकपटुता के भीतर एक हीनता का भाव जाग्रत करता है वो इसलिए कि आपको हमेशा एक भय ये रहता है कि कहीं आपके शुद्ध हिंदी बोलने व इसका उच्चारण करने से दूसरे लोगों पर इसका क्या प्रभाव पड़ेगा.. शायद कुछ भी नहीं' आप सोचते हैं कि अगर अपनी हिंदी भाषा में कुछ उर्दू के शब्द मिलाकर बोला जाए तो इसका एक अच्छा प्रभाव पड़ सकता है जिसमें कुछ हद तक आपको पढ़ा लिखा भी माना जा सकता हैं.. ..और अगर इसमें आप टूटी-फूटी इंगलिश मिलाकर बात करते हैं तो निःसंदेह आप दूसरों की नज़र में बहुत ज्यादा पढ़े-लिखे ही नहीं बल्कि बहुत होशियार व समझदार समझे जा सकते हैं जो इस आधुनिक समाज का यही एक बाहरी दृष्टिकोण है जिसके कारण ही हमारी खुद की मातृभाषा हिंदी का हनन सिर्फ हमारे कारण ही हो रहा है ना कि किसी दूसरे कारण से चूंकि ज्यादातर सभी परिवारों के बच्चे इंग्लिश मीडियम स्कूल से ही शिक्षा ले रहें जहां उनको शुद्ध हिंदी सीखने व बोलने का सवाल ही नहीं होता है