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लिखूं मैं कैसे गीत कविता, टूट न जाये कलम की धार?

जिंदा ही कब थे हम?

लुगदी की पीएचडी

गर्मी से बचने के लिए रे बाबा!

चकरे पे चकरे खिलाता हूं..

अफसर, अमले और अवाम की जीत

भरोसा वादा नही यहाँ है.. नौकरियों की भरमार?