पहली बार एक वेश्या का रोल अदा करूंगी -डॉ सीमा मोदी

  • सेठ लोग रंडी में भी शराफत और सलीका ढूंढते है मंटो..
  • अंतरराष्ट्रीय सेक्स वर्कर डे पर हुआ नाट्यप्रस्तुति का एक अंश..


मंटो की लिखी कहानी पर आधारित नाट्यप्रस्तुति हतक का मंचन होगा 12 जून 2023 को सृजन शक्ति वेलफेयर सोसाइटी द्वारा संगीत नाटक अकादमी लखनऊ में जिसका नाट्यलेखन व निर्देशन के के अग्रवाल ने किया है  और मंटो की कहानी की वेश्या  सौगंधी  रोल निभा रही है रंगमंच कलाकार डॉ सीमा मोदी, उनका कहना है कि पहली बार एक वेश्या का रोल अदा करूंगी, दर्द, प्यार, बन्धन, घुटन, मोहब्बत की चाह और भी  बहुत सारे भाव एक स्त्री के भीतर का दर्द।

मेरी कहानियां तो सच दर्शाती हैं -सआदत हसन मंटो

 दलाल के रूप में है नवनीत मिश्रा , दूसरी वेश्या अनन्या सिंह,  पूना का दरोगा अंकुर सक्सेना  ,मुंशी पलटी का दारोगा नितिन निभा रहे है

2 जून को हर साल अंतर्राष्ट्रीय सेक्स वर्कर्स दिवस के रूप में मनाया जाता है। यह उन दयनीय जीवन स्थितियों को सामने लाता है जिनके तहत यह समुदाय काम करता है। इस दिन को अंतर्राष्ट्रीय वेश्या दिवस के रूप में भी जाना जाता है।

..आपको मेरी कहानियां अश्लील या गंदी लगती हैं..

..तो जिस समाज में आप रह रहे हैं, वह अश्लील और गंदा है.?

आज अंतर्राष्ट्रीय सैक्स वर्कर डे पर हुयी सआदत हसन मंटो के साहित्य पर चर्चा संगीत नाटक अकादमी के रिहल्सल हॉल में। वरिष्ठ रंगकर्मी व निर्देशक के के अग्रवाल का कहना है कि सैक्स व्यापार से जुड़ा हर प्राणी चाहे वो वेश्या हो, दलाल हो, इन घरों के नौकर हों सभी घुटन, उदासी, ऊब और अभावों से भरी एक ऐसी ज़िन्दगी जीते हैं जिससे बाहर आने का कोई रास्ता नहीं दिखाई देता। किंतु फिर भी उनमें जीने की एक ललक होती है जो उन्हें मरने नहीं देती।

वरिष्ठ रंगकर्मी गोपाल सिन्हा व कई नाट्यकर्मी मौजूद रहे.. सआदत हसन मंटो ने इस विषय पर दिल को छू लेने वाली कयी सशक्त कहानियाँ लिखी है।

मशहूर लेखक सआदत हसन मंटो ने अपनी कहानियों में वेश्याओं की संवेदनाओं को जिस कदर उकेरा है, वैसा उनसे पहले किसी भी लेखक ने नहीं किया। कहानीयो में  हतक की सौगंधी हो  या ‘काली सलवार’ की सुलताना, वेश्याओं की तमाम हसरतों को हमारे सामने रखती है, जिससे यह साबित होता है कि उसका अस्तित्व सिर्फ लोगों की जिस्मानी जरूरतों को पूरा करना वाली एक वस्तु की तरह ही नहीं है, बल्कि उसके भी अरमान एक आम लड़की की तरह होते हैं। 

मंटो ने अपनी कहानियों में महिलाओं को इंसान के तौर पर स्वीकार किया। उन्होंने महिला-संबंधित सभी सामाजिक पहलुओं को हमारे सामने रखा, जिसे सदियों से समाज ने सभ्यता और इज्जत की र्इंटों में चुनवा रखा था।

आपको मेरी कहानियां अश्लील या गंदी लगती हैं, तो जिस समाज में आप रह रहे हैं, वह अश्लील और गंदा है।

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