तुम उन सब के जैसे नहीं हो

 


डा बीना "रागी" 

तुम उन सब के जैसे नहीं हो 

अपने मुंह से यह कह दो ना 

आई लव यू आई लव यू  कह कर 

जख्म जो देते हो इन 

जख्मों की तुरपाई भी कर दो ना 

तुझ में चंदा की शीतलता और 

उगते सूरज की तरुणाई है 

मैं भोर की ठंडी ओस की बूंद

 कहां तुम्हारे आगे ठहर पाई है 

तुम्हारे गालों बालों  सानो पर

 लिखना मुझे अच्छा लगता है 

कोरे कागज को स्याही से 

सींचना अच्छा लगता है 

कभी तुम भी मेरे होठों को 

कमल और मेरी आंखों को 

झील सा लिख दो ना 

काश तुम तुम्हारे और मैं 

तुम्हारी हो जाती 

आगोश में तुम्हारे मेरी धड़कन 

ए मेरी सांसे थम जाती 

मगर नहीं कुदरत के हाथों

 फिर से रंग रूप निखारा जाएगा

 हल्दी कुमकुम पुष्प से 

जिस्म हमारा संवारा जाएगा 

वो देखो वो देखो

 चार कंधों पर हमारी

 डोली जा रही है 

अब तो हंस कर 

एक बार 

अलविदा कह दो ना 

तुम उन सब के जैसे नहीं हो

अपने मुंह से यह कह दो ना


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