पितृपक्ष आए हैं..

पितृपक्ष विशेष

किशन सनमुखदास भावनानी

पितृपक्ष आए हैं। 

पूर्वजों की याद लाए हैं।। 

आशीष भरपूर हम पाए हैं।

परिवार वालों की स्मृति संजोए हैं।।


जीवन से मुक्त हुए। 

जो शाश्वत क्रम वो हुए।। 

जीवन भर प्रेरणा दिए। 

हम सबका जीवन संजो दिए।। 


आज फिर छाया तुम्हारी। 

पूरे परिवार ने महसूस किए हैं।। 

कन्याओं को भोजन के रूप में। 

तुम्हारे पवित्र मुख में भोज अर्पण किए हैं।।  


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