भाजपा प्रत्याशी की हार के कई कारण?

  • भाजपा प्रत्याशी की हार के कई कारण आ रहे सामने..
  • मैराथन दौड़ और नशा मुक्ति अभियान भी चुनाव जिताने में असफल..
  • कुछ समस्याएं आज भी चर्चा का विषय बनी हुई है..
लखनऊ। पूर्व सांसद कौशल किशोर ने 10 साल पहले संसद का चुनाव जीतने के बाद पारख महासंघ का गठन किया, जो भारतीय जनता पार्टी के समानांतर संगठन चला रहे थे। 
5 साल तक इस संगठन का विस्तार करने के बाद पिछले कार्यकाल में क्षेत्र में विकास करने के बजाय उन्होंने मैराथन दौड़ शुरू कराई जिसका आयोजन उन्होंने हर विधानसभा में किया। जिसमें कई बार महिलाएं और लड़कियां भाग लेने के लिए बुलाई जाती थी जिससे उन्हें लग रहा था कि इस आयोजन से महिला वोट बैंक मजबूत होगा परंतु ऐसा नहीं हुआ हुआ। 
पूर्व सांसद ने इसके अलावा एक और कार्य नशा मुक्ति अभियान शुरू किया जिसका आयोजन प्रदेश ही नहीं देश के कई हिस्सों में कराया लेकिन यह अभियान उन्होंने तब शुरू किया जब उनके एक पुत्र की दुखद मृत्यु शराब पीने से हो गई। 
इन अभियानों से उन्हें भले ही लग रहा हो कि उनका वोट बैंक मजबूत हो रहा है लेकिन इससे कोई खास सफलता नहीं मिली। 2024 के लोकसभा चुनाव में हार के लिए कई कारण सामने आ रहे हैं जिनमें उनके घर और परिवार में घटित होने वाली घटनाओं के साथ-साथ उनका कुछ लोगों तक सीमित होकर रह जाना भी एक प्रमुख कारण बताया जा रहा है। 
10 साल पहले चुनाव में किए गए वादों को 10 साल में भी पूरा न होने से कई गांवो में लोगों ने खुले आम विरोध करना शुरू कर दिया था क्योंकि उनकी अपेक्षाओं पर खरे नहीं उतरे थे यही नहीं विकास के नाम पर एक भी ऐसा काम नहीं बता सकते थे जिससे किसी विधानसभा अथवा किसी विकास खंड के लोगों को सामूहिक रूप से लाभ होता अथवा सुविधा मिलती। 
कुछ साल पहले विकासखंड माल के ग्राम मवई खुर्द में 100 बेड के अस्पताल के लिए जमीन आवंटित कर दी गई थी परंतु अस्पताल का अता-पता आज तक नहीं है। दूसरी ओर केंद्र और राज्य सरकार के सहयोग से 1 साल पहले विकासखंड माल के अटारी सैनिक फार्म की 1000 एकड़ भूमि पर टेक्सटाइल पार्क बनाने की घोषणा की गई थी चुनाव से पहले तक कोई भी कार्य शुरू न होने से क्षेत्र में यह चर्चा शुरू हो गई कि यह पार्क गोरखपुर चला गया है इससे भी काफी नुकसान हुआ है। मोहनलालगंज लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आने वाली पांच विधानसभाओं में से मलिहाबाद विधानसभा में पूर्व सांसद की पत्नी ही विधायक हैं बावजूद इसके इस क्षेत्र से भी चुनाव हार गए। 
लोगों ने बताया कि वित्तीय वर्ष 23/24 के समाप्त होने के बाद कुछ जगहों पर कार्य कराए जाने के पत्थर लगा दिए गए परंतु मौके पर कार्य नहीं कराया गया है जिससे लोगों में विश्वास कम हुआ। 
मलिहाबाद माल रोड पर रेलवे लाइन के ऊपर ओवरब्रिज बनना था जो शिलान्यास होकर ही रह गया। मलिहाबाद कस्बे में पिछले कई वर्ष से 84 वर्ष पुरानी जूनियर हाई स्कूल की दो कमरे की इमारत में राजकीय बालिका इंटर कॉलेज चल रहा है जिसमें टीन सेड के नीचे लड़कियां बैठकर पढ़ाई करती  हैं। मलिहाबाद विधानसभा क्षेत्र के यह कुछ ऐसे महत्वपूर्ण बिंदु है जो हमेशा चर्चा का विषय बने रहते हैं।

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