वासना की भूमि पर पनपता राष्ट्रवाद?

चंद्रकांत सी पूजारी

हमारे देश में औरतें, लड़कियां, बच्चियां जितना बलात्कार का शिकार होती हैं उससे कहीं ज्यादा सेक्स रैकेट के जाल में फंस कर अपना जीवन बर्बाद कर लेती है? मजबूरी रुपयों की होती है , घर चलाने की होती है, या नौकरी पाने की होती है। 

इन सब के जड़ में रुपया होता है। इसी मजबूरी का फायदा वैसे लोग उठाते हैं जो अनैतिक तरीके से रुपया कमाने में विश्वास करते हैं? दिन दूनी रात चौगुनी कर अपने आप को रईसजादा बना लेते हैं? एक की मजबूरी दूसरे का फायदा बन जाती है और अनैतिक तरीके से रुपए कमाने का माध्यम बन जाता है।

आए दिन छोटे और बड़े स्तर पर सेक्स रैकेट का भंडाफोड़ होता है, बहुत सारी लड़कियां पकड़ी जाती है। कुछ लड़कियां सिनेमा जगत की पकड़ी जाती है, कुछ टीवी जगत की पकड़ी जाती हैं, कुछ कॉलेजों की पकड़ी जाती है। सभी लड़कियों की मजबूरी रुपया होती है। इसी मजबूरी को लोग पैसा कमाने का माध्यम बना लेते हैं। उन लड़कियों को देह के धंधे में धकेल देते हैं उनका जीवन बर्बाद कर देते हैं।

हमारे देश में आए दिन सेक्स रैकेट का भंडाफोड़ होता रहता है ?

कुछ सेक्स रैकेट बड़े स्तर के होते हैं और कुछ छोटे स्तर के होते हैं ,और कई नामचीन लोग इस सेक्स रैकेट के संचालक होते हैं। सेक्स रैकेट चाहे बड़ा हो या छोटा किसी ने किसी नेता, जनप्रतिनिधि का नाम , किसी बड़े अधिकारी के बच्चों का नाम तो अवश्य ही सेक्स रैकेट में होता है। चाहे बिहार का ब्रजेश पांडे सेक्स रैकेट हो या 2021 में मध्यप्रदेश के सीहोर का सेक्स रैकेट हो या अन्य सबमें किसी न किसी नेता का नाम तो अवश्य होता है।

बिहार का ब्रजेश पांडे  सेक्स रैकेट ने तो बिहार की राजनीति में खलबली मचा दी थी, क्योंकि बृजेश पांडे कांग्रेस के उपाध्यक्ष पद पर थे और इस सेक्स रैकेट का खुलासा नामचीन अधिकारी के बेटे की गलती से हुआ अन्यथा सेक्स रैकेट का फंडाफोड़ नहीं नहीं  हो पाता।

कहते हैं ना कि महिला ही महिला की दुश्मन होती है और इसी को सिद्ध करती हुई कई सेक्स रैकेट की संचालिका राजनीति से जुड़ी महिला भी होती है। 

जिसमें सवाई माधोपुर की सेक्स रैकेट को लिया जा सकता है जिसमें बीजेपी और कांग्रेस महिला नेता मिलकर सेक्स रैकेट चलाती थी। 

मध्यप्रदेश के सीहोर जिले का सेक्स रैकेट भी भुलाया नहीं जा सकता है इसमें शिवसेना नेता अनुपमा तिवारी संचालिका थी, जो अपने आपको समाजसेवी, पत्रकार, योगाचार्य बताती थी, जिनके घर पर पुलिस के रेट पढ़ने पर 3 लड़के और 4 लड़कियां तथा  नशीली दवाएं पकड़ी गई थी, एक अन्य महिला  संचालिका भी पकड़ी गई थी। अनुपमा तिवारी घर घर जाकर औरतों को समाज सेवा के लिए उकसाती थी और मौका देखकर सेक्स रैकेट में इस्तेमाल करती थी। 

कर्नाटक में एसडीपीआई नेता शफीर सेक्स रैकेट का भी जिक्र किया जा सकता है, जिसने राजनीति परिचर्चा में उछाला दी थी। 

2018 में मध्य प्रदेश में बीजेपी के अनुसूचित जाति मोर्चा के मीडिया प्रभारी नीरज शाक्या सेक्स रैकेट का भंडाफोड़ हुआ था, जो यह धंधा आईलाइन चलाते थे, इसमें वह ऐसी लड़कियों को मोहरा बनाते थे, जो नौकरी के लिए इंटरनेट पर आवेदन डाल कर रखती थी, उन्हें नौकरी का झासा देकर बहला-फुसलाकर सेक्स रैकेट का हिस्सा बना देते थे।

उसी तरह ग्वालियर की सम्राट गेस्ट हाउस सेक्स रैकेट की घटना का भी जिक्र किया जा सकता है, जिसमें बीजेपी नेता बृजेश तोमर का नाम आया था,जो मुरैना  में अंबीहा जनपद पंचायत सदस्य थे। इसने सम्राट गेस्ट हाउस को सत्तर हजार महीने किराया पर लिया था और सेक्स रैकेट का धंधा चलाते थे। जितने भी मैंने सेक्स रैकेट के उदाहरण दिए उन सब में किसी न किसी नेता का नाम अवश्य है। चाहे वह नेता कांग्रेस का हो या बीजेपी का हो। 

यह चंद घटनाएं तो उदाहरण मात्र  इसके अलावा देश भर में कितने सेक्स रैकेट चलते होंगे इसकी गिनती नहीं है। उजागर होने पर समाचारों में आती है वरना यह दबी हुई  फलती फूलती  रहती है?

नेताओं के साथ-साथ मनोरंजन जगत के लोगों का भी नाम इस सेक्स रैकेट में आता है, साथ ही बड़े बड़े अधिकारी एवं नेताओं के बिगड़े हुए बच्चों का नाम भी इन सेक्स रैकेट में आता है। 

यह कितनी बड़ी विकृति हमारे देश के लिए है यह सोचने  मात्र से सर भारी हो जाता है, परंतु हमारे देश के नेतागण इस बात से अनभिज्ञ बने हुए रहते हैं, क्योंकि कमाई का कुछ प्रतिशत हिस्सा इन तक भी पहुंचता है और पुलिस भी इन लोगों के जेब में होती है। अपराधियों की  गिरफ्तारी तभी होती हैं जब या कानून का प्रेशर इन पर पड़ता है।

आखिर क्यों सेक्स रैकेट के संचालकों में नेताओं का नाम आता है, अगर ऐसा है  तो देश की राजनीति में राष्ट्रवाद की उम्मीद कैसे की जा सकती है? ऐसे ही नेतागण देश की बहू बेटियों को बेच कर अमीर बनते हैं?

हद तो तब होती है जब सेक्स रैकेट का हिस्सा महिला नेता होती है कहते हैं ना औरतें ही औरतों की दुश्मन होती हैं और इन सेक्स रैकेट में यही बात सिद्ध होती है ज्यादातर महिलाएं ही संचालिका होती है या किसी नेता के इशारों पर इस तरह के कुकृत्य को करती हैं। समझ नहीं आता कि ऐसे लोग राजनीतिक में कैसे फलते फूलते हैं। किसी पार्टी का सदस्य बन कैसे जाते हैं ?

इन लोगों के द्वारा राजनीतिक पार्टी की छवि तो खराब होती ही है, साथ ही पार्टी एवं देश में भ्रष्टाचार का व्यापार भी चलता है। यह लोग देश में भ्रष्टाचार फैला कर लोकतंत्र को बर्बाद कर रहे हैं, लोकतंत्र के लिए खतरा बने हुए हैं? ऐसे नेता को देश का नागरिक न कहकर उन्हें देशद्रोही कहा जाए तो भी उचित ही होगा। जैसे ही किसी राजनीति से जुड़े लोगों का नाम सेक्स रैकेट में पकड़े जाए वैसे ही इन्हें देशद्रोही घोषित कर देना चाहिए ताकि देश को गंदा ना करें। 

देश को विकसित राष्ट्र बनाने के लिए एवं देश में खुशहाली लाने के लिए राष्ट्रवाद की आवश्यकता है राष्ट्रवादी लोगों की आवश्यकता है ना कि राजनीति से जुड़कर राष्ट्रवाद के आड़ में अनैतिक कार्यों में लिप्त लोगों की आवश्यकता है।  

आज वासना की भूमि पर कभी भी राष्ट्रवाद नहीं पनप सकता। इसलिए राजनीति से इस कुकृत्य का समाप्त होना जरूरी है साथ ही वैसे नेताओं को  भी पवेलियन का रास्ता दिखाना जरूरी है जो अय्याशी के लिए अपने राजनीति पद का इस्तेमाल कर रहे है, मासूम लड़कियों को अपना शिकार  बनाते हैं।

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