स्वास्थ्य मंत्री के आदेशों की उड़ रही धज्जियां



घर पर प्रसव होने के बाद अस्पताल में फर्जी पंजीकरण किया जा रहा

लेख राम मौर्य

लखनऊ । प्रदेश की योगी सरकार लगातार भ्रष्टाचार मुक्त प्रशासन और जीरो टॉलरेंस की नीति अपनाने की बात कर रही है परंतु सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र माल के कर्मचारी लगातार भ्रष्टाचार को बढ़ावा दे रहे हैं। इसी माह एक ऐसा मामला सामने आया है जिसमें एक महिला को प्रसव पूर्व यहां से रेफर कर दिया गया लेकिन उस महिला के परिजन रेफर किए गए अस्पताल न ले जाकर उसे घर लेकर चले गए जहां तीसरे दिन उसने बच्चे को जन्म दिया और वह अस्पताल नहीं आयी। इसी दौरान आशा ने उक्त महिला को पैसे दिलाने का लालच देकर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र की स्टाफ नर्स योगिता और रंजना से मिलकर सरकारी अस्पताल के रजिस्टर में फर्जी तरीके से प्रसव को पंजीकृत करा दिया।                       आपको बताते चलें कि सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के अंतर्गत आने वाले ग्राम चौकी मजरा अऊमऊ की रहने वाली शीला पत्नी बब्लू 6 जुलाई 2022 को सुबह सीएचसी माल अस्पताल आई जहां शाम तक रुकने के बाद बच्चे की स्थिति स्पष्ट ना होने पर उसे क्वीनमेरी के लिए रेफर कर दिया गया। महिला के परिजन उसे घर लेकर चले गए। उसके बाद 8 जुलाई को उसने घर पर ही बच्चे को जन्म दिया। जिसके बाद उस क्षेत्र की आशा राजेश्वरी ने उसको बता दिया कि यदि कोई पूछे तो बता देना कि सुबह 6:00 बजे अस्पताल लेकर गए थे जहाँ  10:00 बजे अस्पताल में बच्चा हुआ था। उसी दिन दोपहर बाद स्टाफ नर्स योगिता और रंजना की ड्यूटी के दौरान सांठगांठ कर बिना अस्पताल आए बच्चे का पंजीकरण 4:10 पर करा दिया। इस प्रकरण में खास बात यह रही कि आशा उक्त महिला और उसके परिजनों को यह बताना भूल गई कि उसके बच्चे का पंजीकरण 4:10 पर हुआ है। शीला के पति बब्लू और शीला की नंद नीलम ने बताया कि शीला को 6 तारीख को रेफर कर दिया गया था उसके बाद 8 तारीख को पुनः दर्द होने पर सी एच सी माल ले गए जहां 10:00 बजे बच्चे का जन्म हुआ। लेकिन जब इस मामले में गहराई से जानकारी की गई तो पता चला कि उक्त महिला दोबारा अस्पताल आई ही नहीं लेकिन स्टाफ नर्सों ने स्वार्थ के चलते उसका पंजीकरण कर दिया। इस संबंध में जब अधीक्षक डॉ अरुण कुमार चौधरी से जानकारी ली गई तो उन्होंने रजिस्टर देखकर बताने की बात कही और यह भी कहा कि यदि प्रसव घर पर हुआ है और अस्पताल में पंजीकरण कराया गया है तो यह गलत है । दूसरे दिन जब अधीक्षक से जानकारी ली गई तो उन्होंने कहा कि डिलीवरी घर पर हुई है अस्पताल में नहीं हुई है लेकिन उसका प्लसेंटा निकालने के लिए आशा 4:00 बजे अस्पताल लेकर आई थी जहां प्लसेंटा निकालने के बाद उसे दर्ज कर दिया गया। यहां गौर करने वाली बात यह है कि महिला के परिजन सुबह 10:00 बजे अस्पताल में प्रसव होने के बाद कर रहे हैं लेकिन अधीक्षक ने कहा कि उसका प्रसव घर पर या कहीं अन्य स्थान पर हुआ है उसका प्रसव अस्पताल में नहीं हुआ है केवल प्लसेंटा निकाला गया है इसलिए उसका पंजीकरण किया गया है। दूसरी ओर जब महिला का प्रसव अस्पताल में हुआ ही नहीं और वह बच्चा और महिला दोनों अस्पताल नहीं आए हैं तो उनके फिंगरप्रिंट फर्जी तरीके से बनाए गए होंगे। इसलिए इस मामले में फिंगरप्रिंट और उस तारीख और समय के कैमरे के फुटेज की जांच की जानी चाहिए जिससे इस मामले का पर्दाफाश हो सके और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की सके। अब इस मामले में अधीक्षक आशा और स्टाफ नर्सों द्वारा उक्त महिला के परिवार पर दबाव बनाकर तथा लालच देकर बयान बदलने के लिए कहा जा रहा है। इसलिए इस मामले में जो भी दोषी हो उसके खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए जिससे सरकार की मन्सा पूर्ण हो सके।

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