कौआ और बाज

एक कौआ माँस का बड़ा सा टुकड़ा लिये उड़ रहा था!
तभी बाजों के झुँड ने उसका पीछा करना शुरू कर दिया कौआ बहुत डर गया। वह उनसे बचने के लिये और ऊँचा उड़ने लगा लेकिन बेचारा कौआ उन ताकतवर बाजों से पीछा नहीं छुड़ा पाया।
तभी एक गरुड़ ने कौए की ये दुर्दशा देखी तो करीब आकर उसने पूछा, "क्या हुआ, मित्र? तुम बहुत परेशान लग रहे हो?"
कौआ रोते हुए बोला, "ये बाजों का पूरा झुँड मुझे मारने के लिए मेरे पीछे पड़ा है।
गरुड़ हँसते हुए बोला, वे तुम्हें मारने के लिए नहीं बल्कि माँस के उस टुकड़े के पीछे हैं जिसे तुम अपनी चोंच में कसकर पकड़े हुए हो, इसे छोड़ दो और देखो फिर क्या होता है?
कौए ने गरुड़ की सलाह मानकर माँस का टुकड़ा अपनी चोंच से गिरा दिया फौरन बाजों का पूरा झुँड, गिरते हुए माँस के टुकड़े के पीछे लग गया।
कौए ने राहत की साँस ली, गरुड़ ने उसे समझाया "दुख दर्द केवल तब तक रहते हैं जब तक हम इसे पकड़े रहते हैं। कारण जानकर उस चीज़ से उस रिश्ते से अपना मोह छोड़ देने से हमारे सारे दुख, हमारी सारी पीड़ा फौरन समाप्त हो जायेगी।
कौआ नतमस्तक हो बोला, "आपकी बुद्धिमानी भरी सलाह के लिए धन्यवाद
हम रिश्तों का या कीमती चीज़ों को अपना समझते हैं और हमेशा इनका बोझा ढोते रहते हैं सन्तजन समझाते हैं हम तो ख़ाली हाथ दुनिया में आये थे और यहाँ से जाते समय भी बिल्कुल ख़ाली ही जायेंगे, जिस शरीर से आज हमें इतना ज्यादा प्यार है, हमारी मौत के बाद, कुछ अँगों को दान कर दिया जायेगा और बाकी शरीर को अग्नि के हवाले कर दिया जायेगा।
  • परमात्मा के रचे हुए नाटक में, 
  • हमें जो भी रोल दिया गया है, 
  • उसे बड़ी खुशी से निभाओ
  • सँसार की किसी भी चीज़ पर 
  • या किसी रिश्ते नाते पर अपना हक ना जताओ।
सब कुछ परमात्मा का है, जैसे हम अपनी कीमती  चीज़ों को बहुत सँभाल कर रखते हैं, अपने परिवार का कितना ज्यादा ध्यान रखते हैं, परमात्मा हम से कहीं ज्यादा हमारा ध्यान रखता है, इसलिये हमारा दुखी होना या चिन्ता करना फिज़ूल है
हमें तो केवल अपने सिमरन और भजन की चिन्ता होनी चाहिये कि ग़लती से भी भजन सिमरन में नाग़ा ना पड़े जी। सदैव प्रसन्न रहिये। जो प्राप्त है, पर्याप्त है।

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