लोकतंत्र का महापर्व
हेमन्त कुशवाहा
उतर प्रदेश के मुख्यतः दो अंचलों यथा पूर्वांचल की राजनीति में सिर्फ स्थानीय बाहुबली व ताकतवर को ही हर राजनीतिक दल महत्व देता है चूंकि उसका उद्देश्य सिर्फ चुनावी जीत हासिल करना होता है।
सदन में अपने सदस्यों की संख्या बढ़ाना होता है वहां किसी भी राजनीतिक दल को किसी की जाति व धर्म से कोई मतलब नहीं होता है जिस कारण से वहां की जनता के साथ खुलकर अत्याचार, हत्या व उनकी जमीनों पर कब्जा व बेटियों का अपहरण कोई बड़ी बात नहीं होती।
इसके विपरीत पश्चिमांचल की राजनीति में सिर्फ जाति व धर्म को देखा जाता है जिसके तहत हर राजनीतिक दल उसको उसकी जाति व धर्म के आधार पर महत्व देता है चूंकि यहां सिर्फ जाति व धर्म के आधार पर ही चुनाव लड़ा जाता है।
अर्थात इन दोनों अंचलों से यही निष्कर्ष निकलता है कि सत्ता हासिल करने के लिए फिर चाहे गुंडा, माफिया व अपराधिक प्रवृत्ति का ही क्यूं ना हो उसका मिशन सिर्फ अपने सदन में संख्या बल को बढ़ाने का होता है अच्छे बुरे का नहीं जिसे लोकतंत्र का महापर्व कहा जाता है।
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