मेरा वोट,मेरा इंकलाब
मंजुल भारद्वाज |
मेरा वोट,मेरा इंकलाब है
शहीदों को मेरा सलाम है
वतन की आज़ादी के लिए
जो मिट गए,उनका कर्ज़ है
वतन को सम्भाले रखना
हम सबका फर्ज़ है
अपने लहू के क़तरे क़तरे से
सींचा मातृभूमि का ज़र्रा ज़र्रा
उन वीरों की क़ुर्बानी का सैलाब है
मेरा वोट,मेरा इंकलाब है
अपनी जात से प्यारा
जिनको वतन था प्यारा
अपने धर्म से प्यारा
जिनको वतन था प्यारा
उन बलिदानियों का ख़्वाब है
मेरा वोट,मेरा इंकलाब है
जिन्होंने मिलकर देश बनाया
सर्वसम्मत संविधान बनाया
लोकतंत्र का परचम फ़हराया
देशवासियों के स्वाभिमान
तिरंगे का आसमान है
मेरा वोट,मेरा इंकलाब है
आज देश के सामने
झूठ,प्रपंच का पाखंड है
लोकतंत्र पर भीड़तन्त्र का संकट है
देश की विविधता पर
एकाधिकार का साया है
देश का शासक झूठों का सरमाया है
भेड़,भीड़ और भक्तों का जमघट है
लोकतंत्र का चौथा स्तम्भ मीडिया
सत्ता के जयकारे में व्यस्त है
साम्प्रदायिक,पूंजीवादी फ़िरकापरस्त गिद्ध
देश की अस्मिता,किसान,महिला,
नौजवानों को नोचने को तैयार है
ऐसे विध्वंसक दौर में
मेरा सरोकार है
मेरा वोट,मेरा इंकलाब है
आओ अब ठान लें
सरोकारों को समझ लें
जात-पात,धर्म से उपर उठें
देश का भविष्य संवार लें
विकारी सत्ताधीश को बाहर करें
उन्मादी काल में
विवेक मेरी ढाल है
मेरा वोट,मेरा इंकलाब है!
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