आचार संहिता का उल्लंघन कर सरकारी धन का कर रहे बंदरबांट

लखनऊ। देश में 16 मार्च को घोषित सामान्य चुनाव के साथ ही आचार संहिता लागू हो गई जिसके साथ ही सभी प्रकार के नए सरकारी काम करने पर प्रतिबंध लग गया परंतु कई ग्राम पंचायतों में तैनात सचिवों एवं प्रधानों ने नियम कानून  को ठेगा दिखाते हुए सरकारी धन का 31 मार्च तक आहरण किया है जो नियमानुसार गलत है और आचार संहिता का उल्लंघन भी है क्योंकि कई प्रधानों ने अपने नाम से भी धनराशि आहरण कर ली है और कुछ ने एजेंसियों के नाम फर्जी भुगतान कर पैसे का बंदरबांट किया है। 
इस बात की जानकारी सरकारी अभिलेखों से पता चलती है। प्रधान और सचिव ऐसा सोचते हैं कि गांव वालों को इतनी जानकारी नहीं है कि वह उनके लेनदेन को जान सकें इसीलिए मनमाने तरीके से पैसों का भुगतान दिखाया गया है। 
इसके अलावा अनेक प्रधानों ने स्ट्रीट लाइट और हैंड पाइप मरम्मत अथवा हैंड पाइप रीबोर के नाम पर फर्मों के नाम से भुगतान कर सरकारी धन का बंदर बांट कर लिया है। 
दूसरी ओर प्रधानों ने हैंड पाइपों की मरम्मत और रीबोर के नाम पर लाखों रुपए निकालने के बावजूद पुराने सामान का अता पता नहीं है जबकि मरम्मत के बाद पुराना सामान पंचायत के पास होना चाहिए। यही नहीं स्ट्रीट लाइट और सोलर लाइट के नाम पर भी लाखों रुपए निकाले गए और कुछ ही समय बाद उनकी मरम्मत के नाम पर भी कई प्रधानों ने मनमाने तरीके से धनराशि निकाली है।
राजधानी के विकासखंड माल की ग्राम पंचायत हसनापुर, नबीपनाह, नरायनपुर के अलावा कुछ और पंचायतें भी हैं जिन्होंने गलत तरीके से धनराशि का आहरण किया है।
यह हाल तब है जब सरकार भ्रष्टाचार मुक्त प्रशासन का दावा कर रही है और निर्वाचन आयोग नियमानुसार कार्रवाई करने की बात कर रहा है। 
इस संबंध में स्थानीय अधिकारी कुछ भी बोलने को तैयार नहीं है जबकि अन्य जिले के जिला पंचायत राज अधिकारी ने कहा कि यदि आचार संहिता लागू होने के बाद प्रधान ने अपने नाम से अथवा फर्मों के नाम से पुराने कामों के अलावा धनराशि आहरित की है तो यह आचार संहिता का खुला उल्लंघन है।

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