भारतीय लोकतांत्रिक व्यवस्था का स्वर्णिम कमाल!!! 


विश्व के सबसे पुराने लोकतंत्रों में से एक भारतीय लोकतंत्र तथा नए भारत को स्वर्णिम प्रभावी आकार देने, राज्य विधानसभाओं और संसद को प्रभावी साधन बनना होगा 


लोकतंत्र में अटूट स्वर्णिम विश्वसनीयता कायम करने मतदान के साधनों पर अचूक विश्वसनीयता पैदा करनी होगी जिससे सवाल उठाने की गुंजाइश ही ना हो- एड किशन भावनानी 


गोंदिया - विश्व स्तरपर सबसे बड़ा और पुराने लोकतंत्रों में से एक भारतीय लोकतंत्र है जो विश्व के अनेक देशों के लिए प्रेरणा स्त्रोत भी है!! जिसका संचालन संवैधानिक संस्था भारतीय चुनाव आयोग द्वारा बहुत कुशलता और जिम्मेदारी के साथ करता है जो विश्वसनीय, विश्व विख्यात है 

साथियों बात अगर हम 10 मार्च 2022 को घोषित चुनाव परिणामों के 2 दिन पूर्व ईवीएम मशीनों के संबंध में विवाद और उसपर संदिग्धता पूर्वक उठे प्रश्नचिन्ह भारतीय लोकतंत्र की प्रतिष्ठा के लिए अच्छा संकेत नहीं है। हालांकि इसके पूर्व भी कई बार ऐसे बयान आए हैं के ईवीएम का बटन कोई भी दबाओ वोट किसी एक ख़ास पार्टी को ही जाता है!! इसके वैश्विक स्तरपर भारतीय लोकतंत्र के प्रति अच्छा संकेत नहीं जाता, इसलिए अब नए भारत को स्वर्णिम प्रभावी आकार देने के लिए इस तरह के आरोपों, बयानों, बातों पर विराम लगाने के लिए राज्य विधानसभाओं और संसद को प्रभावी साधन बनना होगा!! याने ऐसी तकनीकी या कानून लाना होगा ताकि ईवीएम से मतदान सहित मतदान के सभी साधनों पर विपक्ष, पक्ष व जनता का अटूट विश्वास हो तथा उसपर सवाल उठाने की गुंजाइश ही ना हो!! ऐसा प्रभावी साधन बनाने और विश्व के सबसे पुराने और बड़े लोकतंत्र को एक अटूट स्वर्णिम एवं विश्वसनीय लोकतंत्र बनाना होगा!!! हालांकि अभी भी मजबूत लोकतंत्र है परंतु ईवीएम पर उठनेवाले सवाल इस मज़बूती पर संशय पैदा करने की कोशिश है!! जिसे समाप्त करने की तकनीकी पर विचार करना तात्कालिक ज़रूरी है। 

साथियों बात अगर हम भारतीय लोकतांत्रिक व्यवस्था के स्वर्णिम कमाल की करें तो यह इतनी जबरदस्त ताकतवर है कि बड़े-बड़े नेता को चुनाव में धराशाई करने की ताकत रखती है जो काबिले तारीफ़ है!!! उसकी ताकत हमने 10 मार्च 2022 को पांच राज्यों से आए चुनावी नतीजों में देखे कि कैसे उत्तराखंड के सारे भावी प्रस्तावित मुख्यमंत्रियों सहित वर्तमान मुख्यमंत्री और बहुत पावरफुल उम्मीदवार भी चुनाव हार गए और सीटों की सुनामी के साथ एक पार्टी जीत गई!!! यूपी चुनाव में हमने देखे कि बड़े-बड़े ओहदे वाले महत्वपूर्ण व्यक्ति भी हार गए जिसपर सभी को आश्चर्य होगा लेकिन यह भारतीय लोकतांत्रिक व्यवस्था की खूबसूरती कमाल है!! पंजाब में हमने देखे के भारतीय लोकतांत्रिक व्यवस्था की स्वर्णिम खूबसूरती ने कुछ बात ही निराली कर दी!! वर्तमान मुख्यमंत्री सहित बड़े-बड़े ताकतवर नामीं और मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार धराशाई हुए जिस पर सबको आश्चर्य है! परंतु यह भारतीय लोकतांत्रिक व्यवस्था की स्वर्णिम खूबसूरती का कमाल है!!! कुल मिलाकर हमने देखे कि इन चुनावों में लोकतंत्र के स्वर्णम कमाल का लोहा सब को मानने पर मजबूर किया है!क जनता ने लोकतंत्र में अपने मताधिकार का उपयोग ऐसे स्वर्णिम रूप में किया के बड़े-बड़े नेताओं को पटखनी देकर अपनी ताकत दिखाई जो काबिले तारीफ है!!! 

साथियों बात अगर हम दिनांक 10 मार्च 2022 को घोषित चुनाव परिणामों की करें तो हार-जीत जिंदगी का एक हिस्सा है। हार के बाद जीत और जीत के बाद हार होना स्वभाविक है!! बस हर व्यक्ति को इसे नजरअंदाज करते हुए अपने कर्तव्य पालन के रूप में अपनी सेवा जारी रखना है परंतु यह याद रखना चाहिए कि जीत का खूब जश्न ज़रूर मनाइए और जनादेश का आदर कीजिए, क्योंकि जीत एक बहुत बड़ी जिम्मेदारी है!! जो उम्मीदवार आपसे हारा है उसके लिए सहानुभूति रखना और उसके करीबियों को उनकी पार्टी को हार का एहसास या अपमान नहीं करना है!! यह एक अच्छे इंसान का गुण है, यही लोकतंत्र की खुशबू और खूबसूरती है कि जीत को अहंकार नहीं बनाएं हार को अंतिम हार नहीं बनाकर फिर जनता से जुड़े, जनसेवा कार्यों में लग जाएं यही खूबसूरती भारतीय परंपरा और लोकतंत्र की खुशबू रही है!!! 

साथियों बात अगर हम लोकतंत्र के मौलिक उद्देश्य और विशेषताओं की करें तो, संविधान में लोकतंत्र की संपूर्ण व्याख्या की गई है। लोकतंत्र के कुछ मौलिक उद्देश्य एवं विशेषताएं निम्न हैं। (1) जनता की संपूर्ण और सर्वोच्च भागीदारी, (2) उत्तरदायी सरकार, (3) जनता के अधिकारों एवं स्वतंत्रता की हिफाजत सरकार का कर्तव्य होना, (4) सीमित तथा सांविधानिक सरकार, (5) भारत को एक लोकतांत्रिक गणराज्य बनाने, सभी नागरिकों को समानता, स्वतंत्रता और न्याय का वादा, (6) निष्पक्ष तथा आवधिक चुनाव, (7) वयस्क मताधिकार, (8) सरकार के निर्णयों में सलाह, दबाव तथा जनमत द्वारा जनता का हिस्सा, (9) जनता के द्वारा चुनी हुई प्रतिनिधि सरकार, (10) निष्पक्ष न्यायालय, (11) कानून का शासन, (12) विभिन्न राजनीतिक दलों तथा दबाव समूहों की उपस्थिति, (13) सरकार के हाथ में राजनीतिक शक्ति जनता की अमानत के रूप में। 

साथियों बात अगर हम माननीय उपराष्ट्रपति द्वारा दिनांक 10 मार्च 2022 को एक कार्यक्रम में संबोधन की करें तो उन्होंने, स्वतंत्रता के 75 वर्ष पूरे होने पर आजादी का अमृत महोत्सव समारोहों की चर्चा करते हुए कहा कि अपने देश की महान लोकतांत्रिक परंपरा को मजबूत बनाने के लिए हमें महान संकल्प लेना चाहिए। हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि राज्य विधानसभाएं तथा संसद नए भारत को आकार देने के लिए प्रभावी औजार बन सकें। हम सभी यह सपना देख रहे हैं। हमारा लोकतंत्र विश्व के सबसे पुराने लोकतंत्रों में एक है और विश्व का सबसे बड़ा लोकतंत्र है। हमें इसे और अच्छा बनाना चाहिए। 

अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर उसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि भारतीय लोकतांत्रिक व्यवस्था का स्वर्णिम कमाल!!! विश्व के सबसे पुराने लोकतंत्रों मेंसे एक भारतीय लोकतंत्र तथा नए भारत को स्वर्णिम प्रभावी आकार देने राज्य विधानसभा और संसद को प्रभावी साधन बनना होगा। लोकतंत्र में अटूट विश्वसनीयता कायम करने, मतदान के साधनों पर अचूक विश्वसनीयता पैदा करनी होगी जिससे सवाल उठाने की गुंजाइश ही ना हो!!! 


*-संकलनकर्ता लेखक- कर विशेषज्ञ स्तंभकार एडवोकेट किशन सनमुुख़दास भावनानी गोंदिया महाराष्ट्र*

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