सीलिंग व ट्रस्ट की जमीनों पर अवैध प्लाटिंग

  • क्षेत्र में धड़ल्ले से हो रही अवैध प्लाटिंग, रेरा के नियम दरकिनार.
  • अवैध कॉलोनियों से मकान या प्लॉट लेकर मुसीबत में पड़ सकते हैं ग्राहक.
  • कार्यवाही नहीं होने से फल फूल रहे अवैध प्लाटिंग के कारोबार.
  • सीलिंग व ट्रस्ट की जमीनों पर अवैध प्लाटिंग.

आज अवैध प्लाटिंग का कारोबार बेखौफ हो रहा है। शासन-प्रशासन के सारे नियमों को ताक पर रखकर यहां खेत खलिहान की आवासीय प्लाट के रूप में खरीदी बिक्री हो रही है। स्थिति यह है कि नगर व ग्रामीण क्षेत्र के आसपास इलाकों में रोज कहीं ना कहीं कॉलोनी का नक्शा खींचा जा रहा है। 

तहसील मुख्यालय मुख्यालय सहित आसपास के इलाकों में इन दिनों अवैध प्लाटिंग का कारोबार जोर-शोर से हो रहा है। नगर पंचायत शंकरगढ़ सहित अन्य क्षेत्रों में बड़े स्तर पर अवैध प्लाटिंग का खेल चल रहा है। यहां बिल्डर रियल एस्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी (रेरा) को दरकिनार कर प्लाट बेच रहे हैं। इसके चलते प्लाट खरीदने वाले लोग भविष्य में परेशानी में फंस सकते हैं।

रेरा के नियमों का पालन अनिवार्य

रेरा के नियमों का पालन नहीं होने पर बिल्डर पर कार्रवाई का प्रावधान है गड़बड़ी करने वालों पर जहां दे रहा उसकी योजना की लागत का 10% तक जुर्माना कर सकती है वही किसी मामले में f.i.r. होने पर 3 साल की सजा का भी प्रावधान है एक्ट में है रेरा के अनुसार एक्ट की वजह से यह भी तय है कि जिसका पंक्तियां डेरा में होगा उन बिल्डरों पर लोग भरोसा कर सकेंगे।

पंजीयन से खरीददारों को यह फायदा

बिल्डर द्वारा कोई भी अतिरिक्त इजाफा या परिवर्तन के बारे में पहले आबंटियों को सूचना देना होगा। साथ ही किसी भी बदलाव के बारे में दो से तीन आबंटियों की मंजूरी की जरूरत होगी, रजिस्ट्रेशन से पहले किसी तरह का लांचिंग या विज्ञापन नहीं किया जाएगा, अगर बहुमत अधिकार तीसरे पक्ष को ट्रांसफर किया जाना है तो सहमति की जरूरत होगी, प्रोजेक्ट प्लान, ले-आउट, सरकारी मंजूरी और लैंड टाइटल इस्टेटस और उप ठेकेदारों की जानकारी साझा करना, वहीं वक्त पर प्रोजेक्ट पूरा होकर ग्राहकों को मिल जाए, इस पर जोर दिया जाएगा।

कम का डायवर्सन और अधिक की हो रही खरीदी बिक्री

क्षेत्र में अवैध प्लाटिंग का खेल का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि कई कॉलोनाइजर्स ऐसे भी हैं जो दो-चार एकड़ जमीन का डायवर्सन कराकर 10 से 15 एकड़ जमीन पर कॉलोनी का निर्माण करा रहे हैं। वहीं रेरा के नियमानुसार भूमि के डायवर्सन होने जाने के बाद ही उस भूमि का लेआउट पास किया जाता है लेकिन रेरा के नियमों को भी दरकिनार कर बिना डासवर्सन वाली भूमि का ले-आउट पास कर दिया जा रहा है।

लुभावने ब्रोशर में फंसते हैं ग्राहक

अच्छे ब्रॉशर, थ्रीडी फोटो दिखाकर ऊंची कीमत पर प्लाट और घर बेचने के बाद भी कॉलोनाइजर्स सुविधाएं नहीं देते। ज्यादातर कॉलोनियों में रहने वाले बुनियादी सुविधाएं नहीं मिलने से परेशान हैं। नाली, पानी की निकासी, विद्युत व्यवस्था, सीवर लाइन नहीं होने के साथ कुछ जगह तो सड़कें भी नहीं बनाई गई हैं।

पहले दिखाते हैं ऐसे सब्जबाग

प्लाट बेचने से पहले कॉलोनाइजर्स सड़क, नालियां, बिजली के खंबे, पार्क और पानी आदि सुविधाएं देने का लालच देते हैं लेकिन प्लॉट बेचने के बाद कॉलोनाइसर्ज द्वारा बुनियादी व्यवस्था नहीं कराई जाती। कॉलोनाइजर्स द्वारा रहवासियों को सुविधाएं देना तो दूर बिजली के खंभे लगवाने के नाम पर उनसे पैसे लेकर धोखाधड़ी भी की जाती है। 

वर्तमान में शहर में संचालित कई कॉलोनियों में रहवासियों के लिए बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध नहीं हैंनगर व ग्रामीण क्षेत्र व आसपास के गांव से लगे खेतों की बिक्री आवासीय प्लाट के रूप में बेधड़क हो रही है। इन खेतों को प्लाटिंग करने वाले लोग पहले कही सड़क तैयार करते हैं इसके बाद वहां अपने तरीके से प्लाटिंग करते है। कृषि योग्य भूमि को प्लाट के रूप में विकसित कर खरीदी बिक्री के लिए नियमानुसार डायवर्सन करना पड़ता है। 

एक से अधिक प्लाट काटने के बाद नियमानुसार कॉलोनाइजर एक्ट के तहत सभी फॉर्मेलिटी पूरी करने के बाद उसकी खरीदी बिक्री होनी चाहिए, लेकिन बिना पंजीयन के ही न केवल आवासीय कॉलोनी डेवलप हो रहे हैं बल्कि खेत खलिहान का आवास के रूप में धड़ल्ले से अवैध प्लाटिंग भी हो रही है। वहीं शहर में ऐसी कई कॉलोनियां हैं जिनके अवैध प्लाटिंग के मामले विभागों में लंबित है। 

छत्तीसगढ़ रियल एस्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी (रेरा) के नियमानुसार किसी भी बिल्डर को जमीन की प्लाटिंग करने से पहले रेरा में रजिस्टेशन कराना अनिवार्य है। इसके अलावा प्लाट बेचने से पहले बिल्डर वहां जन सुविधाओं से जुड़ी चीजें पककी नाली, पक्की सड़क, बिजली व पानी का इंतजाम, सीवर, खेल मैदान आदि की सुविधा उपलब्ध करायेगा मगर जिला मुख्यालय सहित अन्य नगरीय निकायों में अवैध प्लाटिंग का खेल जोरों पर चल रहा है। 

यहां रोजाना कई एकड़ खेतों की अवैध प्लाटिंग कर खरीददारों को बेचा जा रहा है। यहां प्लाट खरीदने वाले को अंधेरे में रखकर प्लाटिंग की जा रही है। इसके चलते आने वाले समय में यह प्लाट लेने वाले खरीददार परेशानियों में फंस सकते हैं।

रेरा में कर सकते हैं शिकायत

ऐसे बिल्डर जिन्होंने बरसों पहले आवासीय परिसर बनाकर लोगों को बेचे, लेकिन तब ब्रोशर में जिन सहूलियतों की घोषणा की थी, लेकिन दी नहीं तो संबंधित विनियामक प्राधिकरण (रेरा) में शिकायत कर सकेंगे। ऐसे कॉलोनाइजरों के लिए ही सेंट्रल गर्वमेंट ने रेरा कानून लागू किया है। नए बिल्डरों को इसमें पंजीयन करवाना जरूरी है। इसके साथ ही पुराने खरीददार भी शिकायत कर सकते हैं।

बेखौप हैं भू-माफिया

जमीन दलालों के वायदे और झूठे कागाजत के फेर में फंसकर जमीन व मकान खरीदने वाले लोगों को बाद में खामियाजा भुगतना पड़ रहा है। सैकड़ों लोग डायवर्सन व एनओसी के लिए महीनों से कलेक्टोरेट व नगरपालिका दफ्तर के चक्कर काट रहे हैं। भूमाफियाओं के झांसे में आए लोगों को बुनियादी सुविधाओं के लिए भी तरसना पड़ रहा है। इसके बावजूद जिला प्रशासन जिले में तेजी से बढ़ रहे अवैध प्लाटिंग के कारोबार को रोकने कोई ठोस कदम नहीं उठा रहा है। 

प्रशासन ने भूमाफियाओं के खिलाफ एक भी कार्रवाई नहीं की है। यही वजह है कि कृषि भूमि पर तैयार हो रही इमारतों की अनुमति को लेकर कोई छानबीन नहीं की जा रही है।

कॉलोनी बनाने के लिए ये है नियम

नियमानुसार निजी भूमि पर कॉलोनी का निर्माण कराने से पहले लाइसेंस लेना पड़ता है। कॉलोनाइजर को संबंधित नगर पालिका से डायवर्सन के लिए एनओसी लेनी होगी। कॉलोनाइजर को ट्रांसफार्मर, पानी, सड़क का निर्माण कराना होगा। पार्क के लिए भूमि आरक्षित रखनी होगी। टाउन एण्ड कंट्री प्लानिंग से भी कॉलोनी निर्माण के लिए अनुमति लेनी होगी। 

एक एकड़ से कम क्षेत्र में कॉलोनी बनाई जा रही है तो पालिका में वर्तमान रेट का 15 प्रतिशत आश्रय शुल्क जमा करना पड़ता है, अगर एक एकड़ से ज्यादा जमीन है तो एयर डिस्टेंस दो किमी के भीतर ईडब्ल्यूएस बनाने के लिए जमीन छोडनी पड़ती है।

''अवैध प्लाट काटने वालों को नोटिस दी जा रही है। खोखरा में प्लाट काटने वालों को नोटिस दी गई थी। तहसीलदार और पटवारी ऐसे मामलों में कार्रवाई नहीं करते, जबकि उन्हें ऐसे लोगों पर कार्रवाई करना चाहिए।

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