लोकसभा चुनाव 2024, पूरी तरह से किसानों की तैयारी

  • लोकसभा चुनाव 2024, पूरी तरह से किसानों की तैयारी..
  • किसानों ने चौथे दौर की बातचीत में सरकार का प्रस्ताव खारिज कर दिया - आंदोलन तेजी से होगा..
  • लोकसभा चुनाव 2024 में हर राजनीतिक पार्टी के मुकद्दर का अलेक्जेंडर होगा किसान कार्यकर्ता मध्यम दर्जे का वोटर..

किशन सन्मुखदास भावना

वैश्य स्तर पर लोकतंत्र के सबसे बड़े देश भारत में अगले दो महीनों में होने वाले आम चुनाव 2024 पर पूरी दुनिया की नजर है, क्योंकि आज हर वैश्विक मंच पर भारत का प्रवेश महत्वपूर्ण माना जा रहा है। भारत की बात आज पूरी दुनिया में ध्यान से एकांत में है। 

आज हर देश को भारत के साथ, पर्यटन बनाने में सहायता की आवश्यकता है। ऐसे में अब इन चुनावों के दौरान किसान आंदोलन की शुरुआत में विशेष पक्ष को झटका दिया गया है, क्योंकि मुझे लगता है कि विशेष पक्ष की सत्ता वापस आना तो करीब-करीब तय है, लेकिन बात अटकेगी उनकी अभिव्यक्ति और नारा अबकी बार 400 पार और कुल वोट प्रतिशत का 50 प्रतिशत से अधिक का लक्ष्य अपने पक्ष में के बीच किसान आंदोलन का रोडा ऐड हो सकता है क्योंकि किसानों द्वारा दिनांक 18 फरवरी 2024 को देर रात को चौथे दौर की बातचीत के सरकार के प्रस्ताव में पांच साल का एम. किसानों ने जो अपार्टमेंट बनाया था, उसे देर रात खारिज कर दिया गया और 21 फरवरी 2024 तक सरकार के जवाब के बाद आंदोलन का रुख तेज हो गया, जो सरकार के लिए परेशानी का सबब हो सकता है क्योंकि देश चुनाव के मुहाने पर खड़ा है। 

400 पार 50 प्रतिशत वोट से अधिक प्रतिशत के लिए किसानों का साथ जरूरी है, इसलिए आज हम मीडिया में उपलब्ध जानकारी के सहयोग से इस लेख के माध्यम से चर्चा करेंगे। चुनाव 2024 में हर राजनीतिक पार्टी के मुकद्दर का अलेक्जेंडर किसान, मजदूर और मध्यम श्रेणी के परिवार होंगे। 

चौथे दौर की बातचीत के बाद देर रात तक चली केंद्रीय मंत्री ने कहा कि रविवार को सरकार ने किसानों के साथ बातचीत में अगले पांच साल तक के पांच दौर की यात्रा के लिए किसानों के साथ बातचीत की मसूर, उड़द, अरहर, मक्का और पूरी तरह से उपभोक्ता न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की कीमत का प्रस्ताव दिया गया है। उन्होंने कहा कि नेफेड, एनसीसीएफ और भारतीय व्यापार निगम (सीसीआई) के माध्यम से खरीद प्रक्रिया चल रही है। इस तरह का मूल मसाला।।

मंत्री ने बैठक के बाद कहा, एनसीसीएफ (राष्ट्रीय कृषि सहयोग विपणन संघ) और नेफेड (भारतीय राष्ट्रीय कृषि विपणन संघ) जैसी सहकारी समितियां अरहर, उदद, मसूर या मक्का ओबेने वाले किसानों के साथ उपजी समितियों के लिए उत्पाद सूची बनाएं। अगले पाँच साल तक उनके फ़ासलें प्लांट पर स्थापन प्रस्ताव। 

उन्होंने कहा, "प्राथमिकता में खरीद के लिए कोई मात्रा निर्धारित नहीं की जाएगी और इसके लिए एक पोर्टल तैयार किया जाएगा।" मंत्री ने यह प्रस्ताव भी दिया कि भारतीय निगम निगम किसानों के साथ कानूनी समझौता करने के बाद अगले 5 वर्षों तक नीलामी की खरीद पर चर्चा करेगा। किसान नेताओं ने कहा कि वे इस प्रस्ताव पर अपने मित्र समूह के साथ चर्चा करेंगे और एक-दो दिन में निर्णय अपना सिद्धांत उत्तर देंगे। मगर किसान कानून को कानूनी सलाहकार की अपनी मुख्य मांग से पीछे हटते नहीं देख रहे हैं। हम चुनाव 2024 के लिए किसान आंदोलन की राह पर हैं। 

जिस समय राम मंदिर निर्माण के जोश से मजदूर पार्टी अपनी पूरी वेग में आगे बढ़ रही थी और 400 से अधिक भव्यता का दावा कर रहे थे, किसान अपनी राह में विश्वास जता चुके हैं। ऐसा माना जा रहा है कि अगर यह मामला नहीं सुलझा तो पार्टी को नुकसान हो सकता है। 

तीन-तीन बड़े केंद्रीय मंत्री इस मामले को लेकर लगातार प्रयास कर रहे हैं, जिससे यह भी समझ आ रहा है कि पार्टी को भी नुकसान होने का खतरा है. लेकिन बड़ा सवाल ये है कि अगर किसानों का आंदोलन पहली बार बड़े पैमाने पर आक्रामक हुआ तो बीजेपी को कितना नुकसान हो सकता है? 

राजनीति के कुछ लोगों का मानना ​​है कि अपनी खोई मंजिल हासिल करने के लिए अकाकी पंजाब दल के किसान नेताओं को पैसा और संसाधन देना इस आंदोलन को हवा दे रही है। 

यानी राजनीति में किसानों की प्रतिष्ठा सबसे ज्यादा हो रही है और किसानों का हित करने का इरादा कम है। इधर, आंध्र प्रदेश के राष्ट्रपति ने भी भारत जोड़ो न्याय यात्रा के एक कार्यक्रम में छत्तीसगढ़ में सलाह दी है कि अगर कांग्रेस सत्ता में है, तो किसानों को धारा की कानूनी सलाह दी जाएगी। 

राहुल गांधी ने इसे पहली बार दोहराया है। लेकिन अगर यह मामला राजनीति से प्रभावित होता है, तो किसान आंदोलन में नैतिक बल का नुकसान हो सकता है। 

इस आंदोलन का जनता पर असर कम हो सकता है। पिछली बार जब 2020-21 में किसान आंदोलन हुआ था, तब संयुक्त किसान मोर्चा के बैनर में 40 से ज्यादा किसान नेता शामिल थे। 

लगभग साल भर चलने वाले आंदोलन में किसानों ने कई स्टूडियो के बाद भी अपना आंदोलन जारी किया और अंततः 19 नवंबर 2021 को ट्राइलिम कृषि संयंत्रों को वापस लेने की घोषणा की गई। किसानों की मुख्य भूमिका है (1) किसानों की सबसे खास मांग न्यूनतम समर्थन मूल्य के लिए कानून बनाना। (2) किसान स्वामीनाथन आयोग की स्थापना को लागू करने की मांग भी कर रहे हैं। (3) कृषि में किसान आंदोलन कर्ज़ माफ़ करने की मांग भी कर रहे हैं। (7) किसानों और 58 वर्ष से अधिक आयु के कृषि ऋणों के लिए पेंशन योजना लागू करके 10 हजार वर्ष प्रति माह पेंशन दी जाएगी। (8) प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में सुधार के लिए सरकार की ओर से स्वयं बीमा प्रीमियम का भुगतान करना, सभी बीमा कंपनियों को योजना का हिस्सा बनाना और नुकसान का आकलन करना, खेत की जमीन को एक इकाई के रूप में सीखना नुकसान का आकलन करना (9) भूमि अधिग्रहण अधिनियम, 2013 को उसी तरह से लागू किया जाना चाहिए और भूमि अधिग्रहण के संबंध में केंद्र सरकार की ओर से राज्य में दिए गए हिस्सों को रद्द किया जाना चाहिए। की गुणवत्ता में सुधार किया जाए। 

हम किसान पुलिस के बीच हैं तो पंजाब और हरियाणा के किसानों की संख्या पूरी करने के लिए दिल्ली की ओर से तेजी से बढ़ रहे हैं। 

केंद्र की क्यू सरकार जहां इस आंदोलन को शांत करना चाहती है, वहीं इसे हवा में जारी किया गया है। यही कारण है कि कांग्रेस और आम आदमी पार्टी समेत कई राजनीतिक विचारधाराओं ने किसान आंदोलन का समर्थन किया है। 

पंजाब और हरियाणा कांग्रेस के कई नेताओं ने तो यहां तक ​​स्पष्ट कर दिया है कि अगर किसानों को हमारी जरूरत है तो हम भी सड़कों पर उतरकर दिल्ली जाएंगे

किसानों का साथ मिलेगा। इस मास्टर ने सबसे पहले बताया था कि हरियाणा और पंजाब के बड़े नेता किसान आंदोलन को लेकर क्या प्रतिक्रिया दे रहे हैं। सिद्धांत कि शंभू सीमा के बाद पंजाब के किसानों को हरियाणा पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है यहां किसानों के गैस के गोले भी दागे गए हैं मीडिया में ऐसा आया है कि वहां 30 हजार लोग मध्य प्रदेश से अतिरिक्त व्यापारी हैं। 

सामने आया कि पुलिस समुद्र तट पर गैस के गोले दाग रही है। जहां दिल्ली को आड़े किसान शंभू सीमा पर लगातार गैस के गोले दागे जा रहे हैं, वहीं किसान भी उग्र हो गए हैं। उन्होंने बॉर्डर पर बने एक ओवरब्रिज की रेलिंग को भी तोड़ दिया। 

मूल रूप से यदि हमने संपूर्ण विवरण का अध्ययन किया तो हमने देखा कि किसानों ने चौथे दौर की बातचीत में सरकार के प्रस्ताव को खारिज कर दिया - 

  • आंदोलन तेजी से होगा। 
  • लोक चुनाव 2024
  • आदर्श की तैयारी पूरी
  • किसानों के साथ बहुत कुछ

लोकसभा चुनाव 2024 में हर राजनीतिक पार्टी के मुकद्दर का अलेक्जेंडर होगा किसान कार्यकर्ता मध्यम दर्जे का।

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