सोशल मीडिया पर बढ़ता अश्लील विडियो-रील

अश्लील विडियो-रील का दुष्प्रचार या वर्तमान दौर की तरक्की?

हेमन्त कुशवाहा

ये वर्तमान दौर की तरक्की है खुलापन है बेहयाई है या कमाई है या कुछ और.!  जिसके माध्यम से हर कोई सोशल मीडिया पर अपनी बेशर्मी की सारी हदें पार करके क्या नाबालिग लड़कियां क्या विवाहिता स्त्रियां और क्या एक बुजुर्ग महिलाएं अपनी अश्लील से अश्लील विडियो-रील बना कर एक गरूर के साथ अपने जिस्म की नुमाइश को अपलोड कर पूरी दुनियां को अपनी जिस्मानी हरकतों का रंग ढंग दिखा रही हैं, जो एक जानवरों के अनुकूल दिखाई देता है जिसमें शिक्षा, भाषा, सभ्यता, अनुशासन व सामाजिक रीति रिवाजों की उसे कोई परवाह नहीं है.

शायद ऐसा करके वो खुद की नजर में बहुत बड़ी हीरोइन समझ रही हैं उसे पता नहीं है कि यह प्रतिभा व कलाकारी नहीं है बल्कि उसका यह एक मानसिक रोग है उसकी एक विकृति है लिहाजा ऐसी अश्लील सामग्री के प्रति सरकार को तुरंत संज्ञान लेकर ऐसे प्लेटफार्म पर  पूर्ण रूप से प्रतिबंध लगा देना चाहिए,  

ये रोग अन्यथा पश्चिमी देशों की तरह फैलेगा जहां 90 फीसदी लड़कियां 14-15 की उम्र की होती हैं जो इस दौर से होकर गुजर चुकी होती हैं जिसको काबू करना पूरी तरह नामुमकिन होगा यानि किसी को भी अपने लड़के-लड़कियों को बालिग होने का इंतजार नहीं करना पड़ेगा बल्कि वो इस उम्र के आने से बहुत पहले अपनी स्वेच्छा से या अपने मित्र साथी की स्वेच्छा से  अपनी कामेच्छाओं को पूर्ण कर चुकी होगी!

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