विद्यालय की भूमि पर किया अवैध रूप से कब्जा

नबाबो के शहर में कुछ भी संभव है?
सरकारी जमीन से अवैध कब्जा हटाने के लिए लिखित शिकायत चाहिए!
जब लेखपाल मजिस्ट्रेट हो जायं तो एसडीएमतहसीलदार क्या करेंगे..
..ये लेखपाल की गाड़ी है?

लेखराम मौर्य

लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जनता की समस्याओं का त्वरितगति से निस्तारण कराने के लिए कितने ही फोरम बना दें लेकिन यदि तहसील, ब्लाक और थाने पर बैठे अधिकारी नहीं चाहेंगे तो तहसील और थाने के सैकड़ों चक्कर लगाने के बाद भी गरीबों की समस्याओं का निस्तारण नहीं हो सकता। दूसरी ओर जिस तहसील के लेखपाल ही मजिस्ट्रेट हो जायं तो तहसीलदार और एसडीएम क्या कर पाएंगे शिवाय लेखपालों के सामने नतमस्तक होने के।

सरकारी जमीन पर यदि कोई अवैध रूप से कब्जा कर रहा है तो यदि आपने फोन पर लेखपाल, तहसीलदार, एसडीएम तक किसी से भी शिकायत की तो यह सब एक ही बात करते हैं कि लिखित शिकायत कीजिए तो दिखवाते हैं। और यदि कोई प्रधान या सामान्य व्यक्ति लिखित रूप में अवैध कब्जे की शिकायत करता है तो उस प्रार्थना पत्र पर कार्रवाई के नाम पर सिर्फ जांच होती रहती हैै।

यह स्थिति पिछले कुछ समय से राजधानी की उस तहसील की है जो जनता की समस्याओं के निस्तारण में कागजों में अव्वल बताई जा रही है जबकि हकीकत कुछ और ही है। बतादें कि विकास खण्ड मलिहाबाद की ग्राम पंचायत गढ़ी संजरखां की प्रधान पुष्पा मौर्या ने मुख्यमंत्री के पोर्टल सहित तहसील और थाने के अधिकारियों से कई बार शिकायत की परन्तु तीन माह बीत जाने के बाद भी स्कूल की सरकारी जमीन से आज तक अवैध कब्जा नहीं हटाया गया है जिससे अवैध कब्जेदार के हौसले बुलंद हैं। 

इस मामले की जानकारी देते हुए ग्राम प्रधान पुष्पा मौर्या और उनके पति सुनील ने बताया कि वह तीन माह से तहसील के चक्कर लगाकर थक चुके हैं उन्होंने विधायक और उनके पति राज्यमंत्री कौशल किशोर से भी एसडीएम से बात कराई थी लेकिन कोई कार्रवाई न होने पर उन्हें इस बात का आभास हो गया कि कर्मचारियों ने दबंगों से पैसा ले लिया है इसीलिए कोई कार्रवाई करने के बजाय अधिकारी, कर्मचारी टालमटोल कर रहे है। दूसरे ग्राम प्रधान रसूलपुर के हैं जो अपने गांव की सरकारी जमीन से अवैध कब्जा हटवाने के लिए तहसील के सैकड़ों चक्कर लगा चुके हैं लेकिन आज तक अवैध कब्जा नहीं हटाया गया है।


शिकायतकर्ता पुष्पा मौर्या प्रधान 

इसी प्रकार ग्राम गांगन बरौलीे निवासी रमेश मौर्य और मूलचन्द यादव ने एक प्रार्थना पत्र 4 माह पूर्व तहसीलदार को दिया था जिसमें आवासीय पट्टे की भूमि पर कुछ लोगों द्वारा अवैध रूप से कब्जा कर निर्माण किया जा रहा था तथा कुछ लोगों ने पट्टे की भूमि से अधिक पर कब्जा कर लिया है जिससे कुछ लोगों की जमीन ही गायब हो गयी है। इस मामले में आज तक कोई कार्रवाई नहीं की गयी है। 

इसी गांव में स्थित ऊसर की खाली पड़ी भूमि पर सदर तहसील के मनभौना निवासी महेश यादव ने अवैध रूप से कब्जा कर उसमें अब सरसों की फसल बो दी है। लेकिन कई बार फोन पर और मौखिक शिकायत करने के बाद भी आज तक कार्रवाई नहीं की गयी है। पूर्व में तैनात रहे एसडीएम और क्षेत्रीय लेखपाल ने पहले कहा कि दोनों तहसीलों की कमेटी बना दी गयी है एक माह बाद पूछने पर कहा कि लिखित शिकायत कीजिए तो कार्रवाई की जाएगी। उन एसडीएम का तवादला हो गया और नये एसडीएम हनुमान प्रसाद से जब इस मामले में बात की गयी तो उन्होंने भी वही बात दोहराई कि एक प्रार्थना पत्र दीजिए तो दिखवाते हैं।

पहली बात तो किसी भी सरकारी जमीन पर किसी प्रकार का अवैध कब्जा न हो इसकी जिम्मेदारी प्रधान की होती है और यदि प्रधान कोई रूचि नहीं लेता है तो सरकारी जमीन को बचाना और उस पर किसी प्रकार का कब्जा न हो इस बात की जिम्मेदारी तहसील के अधिकारियों की होती है। यहां तो सूचना मिलने के बाद भी तहसील के अधिकारी और कर्मचारी लिखित शिकायत की बात करते हैं।

जब सरकारी जमीनों से अवैध कब्जा हटाने की स्थिति यह है तो निजी जमीनों से अवैध कब्जा हटाने की बात कौन करें। इसके अलावा तहसील में आयोजित होने वाले सम्पूर्ण समाधान दिवस में सबसे अधिक 48 मामले राजस्व के आए हैं जिनमें से अधिकतर प्रार्थना पत्र अवैध कब्जे के ही हैं एक बार फिर देखना होगा कि इनका निस्तारण कब होता है।

 

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