ज़रूरत है आज कुशल ज़ज़बे और बिना स्वार्थ जांबाज़ी से नेतृत्व करने की?

  • दूरदर्शी, मज़बूत रणनीतिक नेतृत्व और सक्षम, समर्पित कार्यान्वयन व्यवस्था, कठिन परिस्थितियों में भी प्रशासन को आखरी शोर तक ले जाने में सक्षम..
  • प्रत्येक भारतीय अपने अधिकारों, कर्तव्यों और जिम्मेदारियों पर ध्यान केंद्रित कर सामाजिक, रणनीतिक परिवर्तन का सक्रिय धारक बन सकता है..

सनमुखदास भावनानी

वैश्विक स्तर पर प्रसिद्ध बड़े-बड़े अविष्कारको, वैज्ञानिकों साहित्यकारों सहित हर क्षेत्र में वैश्विक प्रसिद्धि पाने वालों के नाम और महिमां हमने अपने-अपने एकेडमिक शिक्षण के समय और अभी भी उनकी सुन रहे हैं। साथियों आज जो हम प्राकृतिक सृष्टि की रचना में और डिजिटल युग में मानव निर्मित सुविधाओं का सुख भोग रहे हैं, उन्हें भी इन्हीं मानवीय योनियों ने ही अपने कुशल कारीगरी से उसका आविष्कार किया होगा जो आज हमारे मानव होने की पिछली पीढ़ियां कहलाती है। 

हम आज वर्तमान पीढ़ी हैं और आगे भी हमारी उत्तराधिकारी पीढ़ियां होगी। आज हमको हर क्षेत्र में इस पर ध्यान देना होगा कि हमारी अगली पीढ़ियों के लिए हम ऐसा कर जाएं कि उनका जीवन सुरक्षित और हम से अधिक कल्याणकारी हो!!! साथियों इसलिए हमें आज से ही हर क्षेत्र में दूरदर्शिता, मजबूत रणनीतिक नेतृत्व और सक्षम, समर्पित कार्यान्वयन व्यवस्था की ज़रूरत है जो कठिन परिस्थितियों में भी सुशासन और आखरी शोर तक ले जाने में सक्षम हो!! साथियों यह स्थिति तब उत्पन्न होगी जब हर भारतीय अपने अधिकारों, कर्तव्यों और जिम्मेदारियों पर ध्यानकेंद्रित कर सामाजिक और रणनीतिक परिवर्तन का सक्रिय धारक बन बनेगा, इस रणनीतिक रोडमैप में आम जनता, शासन और प्रशासन यह तीनों मज़बूत पक्ष है। साथियों बात अगर हम पहले पक्ष आम जनता को प्राप्त अपने अधिकारों की करें तो मेरा मानना है कि आज सब अपने अधिकारों की बातें अधिक करते हैं। 

यह हमारा अधिकार है,  हमारा अधिकार था, जो हमने नहीं मिला!! और उस अधिकार को पाने की जद्दोजहद में सामाजिक, राजनीतिक लेवल पर बात का बतंगड़ बना देते हैं!! साथियों बात अगर हम हमारे कर्तव्यों और जिम्मेदारियों की करें तो हमें शायद यह याद नहीं रहती कि देश और समाज के प्रति हमारी जिम्मेदारी और कर्तव्य क्या है ?? उन्हें पूरा करने की शायद ही हम इतनी जद्दोजहद करते होंगे !! साथियों मेरा मानना है हम जिस दिन अपने अधिकारों के साथ अपने कर्तव्यों और जिम्मेदारियों की बात भी समझेंगे उस दिन हमारे समाज और अन्य क्षेत्र मिलाकर भारत को फिर सोने की चिड़िया बनाने में तात्कालिक बहुत आगे होंगे !! साथियों बात अगर हम दूसरे पक्ष, याने शासन की करें तो इसे दूरदर्शी, मज़बूत रणनीतिक नेतृत्व तथा सक्षम, समर्पित कार्यान्वयन व्यवस्था क्षमता का धनी होना चाहिए जो, कठिन परिस्थितियों में भी सुशासन को आखिरी छोर तक ले जाने में सक्षम हो!! 

यदि शासन में उपरोक्त सभी गुण हैं तो निश्चित रूप से प्रशासन को मज़बूत ईमानदार, मेहनती और कर्तव्यनिष्ठ होना ही पड़ेगा!! बस!! ज़रूरत है कुशल ज़ज़बे और बिना स्वार्थ जांबाज़ी से नेतृत्व करने की!!! साथियों बात अगर हम तीसरे पक्ष,यानेप्रशासन की करें तो इसे हम सक्षम कार्यान्वयन व्यवस्थाधारी की भी संज्ञा दे सकते हैं। यह ऐसा तंत्र है, जो कानूनों के आधार पर ऊपर से निर्देशों का कार्यान्वयन, व्यवस्था का संचालन करते हैं। साथियों सबसे अधिक मज़बूत इस तीसरे तंत्र को होने की ज़रूरत है। इसी को ही सक्षम, समर्पित भाव ईमानदारी से आदेशों, व्यवस्थाओं को कार्यान्वयन करने की ज़रूरत है निश्चित रूप से इस तीसरे पक्ष का रोल अति महत्वपूर्ण है। 

साथियों बात अगर हम सुशासन की करें तो मेरा मानना है यह तभी सफ़ल होगा जब आम जनता, शासन तथा प्रशासन यह तीनों कड़ियां आपस में अपने अपने अधिकारों, कर्तव्यों और जिम्मेदारियों का बखूबी से पालन कर आपसी तालमेल और सामंजस्य स्थापितकर समन्वयता और सहयोगात्मक रणनीति, रणनीतिक रोडमैप बनाकर उसका पालन करेंगे तो भारत को फ़िर सोने की चिड़िया बनाने से कोई नहीं रोक सकता!! 

बात अगर हम तीनों पक्षों के साक्षात उदाहरण की करें तो हमने कोविड-19 महामारी 2020 और 2021 में देखने को मिला शासन, प्रशासन और जनता का तालमेल लॉकडाउन, वैक्सीनेशन और अपनी आंतरिक शक्तियों का सफलतापूर्वक दोहन कर कठिन परिस्थितियों में भी सुशासन को आखरी छोर तक ले जाने में सक्षम हुए!! साथियों बात अगर हम माननीय उपराष्ट्रपति की दिनांक 1 नवंबर 2021को वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए एक कार्यक्रम में संबोधन की करें तो पीआईबी के अनुसार उन्होंने भी कोविड-19 महामारी का उल्लेख करते हुए, कहा कि महामारी के दौरान कठिन समय के बावजूद, देश ने संकट का सामना करने के लिए असाधारण क्षमता का प्रदर्शन किया और अपनी आंतरिक शक्तियों का सफलता पूर्वक दोहन करते हुए इन चुनौतियों को अवसरों में बदल दिया। उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य सेवा के बुनियादी ढांचे में सुधार किया गया है, दवाओं और टीकों का उत्पादन बढ़ाया गया है और हमने 21 अक्टूबर 2021 को 100 करोड़ टीकाकरण की महत्वपूर्ण उपलब्धि को हासिल भी कर लिया है। उन्होंने कहा कि यह मजबूत, रणनीतिक, दूरदर्शी नेतृत्व, सक्षम और समर्पित कार्यान्वयन व्यवस्था का परिणाम है। 

अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर उसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि दूरदर्शिता, मज़बूत रणनीतिक नेतृत्व और सक्षम, समर्पित कार्यान्वयन व्यवस्था कठिन परिस्थितियों में भी सुशासन को आखिरी छोर तक ले जाने में सक्षम है तथा प्रत्येक भारतीय अपने अधिकारों, कर्तव्यों और जिम्मेदारियों पर ध्यान केंद्रित कर सामाजिक रणनीतिक परिवर्तन का सक्रिय धारक बन सकता है।

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