असलहा में मैड इन बमहौर के बाद अब मैड इन मऊ सुर्खियों में

 


 जितेन्द्र मौर्य 

UP मऊ टी-सीरीज के मालिक गुलशन कुमार की हत्या के बाद सुर्खियों में आए पड़ोसी आजमगढ़ जिले के बम्हौर के बाद अब मऊ जनपद भी 24 साल के बाद सुर्खियों में आ गया है। यहां के मेड इन मऊ पिस्टल से कितने लोगों की देश में हत्या हुई होगी, यह तो जांच का विषय है। लेकिन जिस प्रकार से दो असलहा फैक्ट्री पकड़ी गई है, उससे हर कोई इसका अंदाजा आसानी से लगा रहा है। यही नहीं यहां की तीन महिलाएं अर्धनिर्मित असलहा छिपाकर हर माह ट्रेन से बिहार के मुंगेर तक जाती रहीं हैं। और किसी को कानोकान पता तक नहीं चला। जबकि रेलवे मऊ से लेकर बिहार रेलवे तक पुलिस तैनात रहती है। ट्रेन संचालन के दौरान भी पुलिस रहती हैं लेकिन किसी की नजर इन पर नहीं पड़ी। इसका खामियाजा रहा कि 12 साल से महिलाओं को आधार बनाकर अवैध असलहा तस्करी का कारोबार किया जा रहा था।

बिहार, गोरखपुर एसटीएफ सहित जनपद के दो थानों की पुलिस की संयुक्त टीम ने बारह घंटे तक अथक परिश्रम के साथ अवैध असलहा फैक्ट्री का भंडाफोड़ किया है। दक्षिणटोला थाना के प्यारेपुरा में शबाना व कोतवाली के रघुनाथपुरा में शबनम बानों अपने परिवार के साथ मकान बनवाकर रहती थी। बारह साल पहले ही इन लोगों ने अपना मकान बनवाया था। उस दौरान किसी को शक नहीं हुआ। इसके बाद किसी को कानोकान खबर नहीं हो पाई कि इन दोनों आवासों में असलहा बनाया जाता है। और इसकी तस्करी की जाती थी। यही नहीं शबनम बानों, शबाना और रूबीना अंसारी हर माह में दो बार बिहार के मुंगेर असलहा का सामान लेकर जाती थी। मऊ रेलवे स्टेशन पर रेलवे व जीआरपी पुलिस भी लोगों के सामानों की चेकिंग करती है। इसके बाद प्रवेश कराती है लेकिन कभी जीआरपी ने इन महिलाओं की चेकिंग नहीं की।

यही नहीं रेलवे स्टेशन तक पहुंचने के लिए यह जरूर कोई न कोई वाहन से जाती रही होंगी, ऐसे में पुलिस की नजर भी इन पर नहीं पड़ रही थी। ऐसे में पुलिस के अलावा रेलवे पुलिस पर भी शक की सुईं घूम रही है। इतना बड़े अवैध कारोबार की भनक स्थानीय पुलिस व जीआरपी को नहीं चल पाती है। लेकिन बिहार एसटीएम इसका सुराग लगा कर यहां छापा मरवाकर पकड़ लेती है। ऐसे में यहां की पुलिस व रेलवे व जीआरपी पुलिस की सक्रियता का भी पोल खुल रहा है। वैसे पुलिस का कहना है कि चूंकि महिलाओं की आड़ में यह कारोबार किया जा रहा था। ऐसे में महिलाओं पर कोई शक नहीं कर पा रहा था। यही वजह रही कि पुलिस की नजर इन पर नहीं पड़ी।

पुलिस अधीक्षक सुशील चंद घुले ने कहा कि रिमांड पर लिए जाने के बाद आरोपितों से अधिक जानकारी मिल सकती है। इनके तार कई प्रदेशों से भी जुड़ सकते हैं। ऐसे में पुलिस की सीओ सिटी के नेतृत्व में कई टीमें गठित कर दी गई हैं। जल्द ही इससे जुड़े लोगों के तार का भी खुलासा हो जाएगा।

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